Yamraj ki disha kavita ke dwara kavi kya sandesh dena chahta hai?
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Kabi Yeh Sandesh Dena chahte hay ki mritu ki koi disha nhi hti. Kabi ki Maa jo keht the ki dakshin disha mritu ki disha Hai wohi galat Hai.
Aaj mritu ki koi disha nhi Hai.
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यमराज की दिशा नामक कविता में चारो और फैलती विनाशकारी और शोषक शक्तियो की और संकेत किया गया है । कवि की माँ कवि को बताया करती थी की वह ईश्वर से बात करती है । ईश्वर ने उसे बताया था की यमराज दक्षिण दिशा में रहता है ।
अतः दक्षिण की तरफ पैर करके कभी मत सोना । यमराज मृत्यु का देवता है। अगर दक्षिण की तरफ पैर करके सोये तो यमराज क्रुद्ध हो जाएगा और यमराज को क्रोधित करना अच्छा नहीं होता । कवि ने ऐसा ही किया ।
ऐसा करने से कवी को लाभ भी हुआ । यह लाभ था की वह कभी भी दिशा नहीं भुला । वह यमराज का घर देखना चाहता था । वह दक्षिण दिशा में दूर दूर तक भी गया । पर अफ़सोस वह कभी भी दक्षिण दिशा के छोर तक नहीं पहुँच सका ।
क्योंकि दक्षिण दिशा अनंत है ।
★ AhseFurieux ★
अतः दक्षिण की तरफ पैर करके कभी मत सोना । यमराज मृत्यु का देवता है। अगर दक्षिण की तरफ पैर करके सोये तो यमराज क्रुद्ध हो जाएगा और यमराज को क्रोधित करना अच्छा नहीं होता । कवि ने ऐसा ही किया ।
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