यदि मैं शिक्षामंत्री होता (निबंध ) | Write an essay on If I were the Education Minister in Hindi
Answers
"यदि मैं शिक्षा मंत्री होता"
चिंतन और मनन व्यक्ति की स्वभाविक प्रक्रिया है। मैं भी सोचता हूं कि यदि मैं शिक्षा मंत्री होता तो शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने की कोशिश करता। आज जिस तरह से बच्चों को किताबी शिक्षा दी जा रही है सबसे पहले तो मैं यह परिवर्तन करता कि किताबी शिक्षाओं के साथ साथ नैतिक शिक्षा और व्यवहारिक ज्ञान की शिक्षा का आरंभ करता। विद्यालयों में पाठ्यक्रमों के साथ व्यावसायिक भी अनिवार्य की जाती।
मैं कभी भी विद्यालय से संबंधित नियमों को कार्यालय कमरे में नहीं बनाता परंतु जो अध्यापक धरातल पर काम कर रहे हैं, उनके महत्वपूर्ण सुझावों को आमंत्रित करता तत्पश्चात अपने सचिवों तथा शिक्षा निदेशकों के साथ सलाह मशवरा करके नियम बनाता। बच्चों को खेल खेल के माध्यम से पढ़ाने की संभावनाओं को तलाशा जाता। अध्यापकों को आधुनिक उपकरणों का प्रशिक्षण दिया जाता तथा अध्यापन प्रक्रिया को और सरल बनाया जाता।
विद्यालयों में रुचिकर खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता तथा मेधावी छात्रों के प्रोत्साहन के लिए उनको छात्रवृत्ति देखकर अपने कार्य में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता। बदलते पर्यावरण की सुरक्षा के लिए छात्रों से उनके सुझाव मांगे जाते तथा उस पर बुद्धिजीवियों के साथ चर्चा करके अमल में लाया जाता क्योंकि नए बच्चे, नई सोच और नई समस्याएं इस पर बेहतर कार्य कर सकते हैं।
आज जिस तरह से सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घटती जा रही है उस पर में यह संज्ञान लेता कि जो सरकारी कर्मचारी हैं, उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में ही पढें। कोई भी बच्चा स्कूल आने से ना छूटे इसके लिए हर विद्यालय के एक अध्यापक को यह जिम्मेदारी दी जाती कि जो बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं, उनका ब्यौरा तुरंत भेजें। इस पर में सीधे तौर पर बच्चे के माता-पिता से संपर्क करता तथा बच्चे को स्कूल आने के लिए उनसे कहता।
आजकल के बच्चों में जिस तरह कि अनुशासनहीनता तथा नशों का चलन बढ़ रहा है उसको रोकने के लिए विद्यालय में देशभक्ति तथा धर्म शिक्षा के शिविरों का आयोजन किया जाता है।
मैं एक विद्यार्थी हूँ तो मेरी ज्यादातर इच्छाएँ मेरी शिक्षा से संबंधित है इसलिए मैं कई बार शिक्षा मे परिवर्तन लाने की कोशिश करती हूँ I
यदि मैं शिक्षा मंत्री होता तो सबसे पहले ये आदेश जारी करता कि पाठ्यक्रमों में किताबों का बोझ कम कर दिया जाये। आज के समय में एक ही विषय की चार-चार किताबें होती हैं विद्यार्थी उन्हें देखकर ही घबरा जाता है और उसे कुछ भी समझ में नहीं आता। शिक्षा का माध्यम क्या होना चाहिए? वर्तमान समय में हमारी शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी भाषा बनी हुई है। इस विदेशी भाषा को समझने और जानने के लिए हमारी पूरी बौद्धिक शक्ति नष्ट हो जाती है। शिक्षा मंत्री के रूप में मैं अपने कर्तव्य को पूरी तरह समझूंगा और मैं बच्चों और माता-पिता को स्वंय भाषा को चुनने की आज्ञा दूंगा मुझे पूरा विश्वास है कि वो हिंदी भाषा को ही चुनेंI