1921இல் நடைபெற்ற மலபார் கலகத்தைப்
பற்றிய காந்தியடிகளின் கருத்து என்ன?
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Explanation:
मोपला विद्रोह : केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा १९२1में स्थानीय जमीदारो एवं ब्रितानियों के विरुद्ध किया गया विद्रोह मोपला विद्रोह कहलाता है। यह विद्रोह मालाबार के एरनद और वल्लुवानद तालुका में खिलाफत आन्दोलन के विरुद्ध अंग्रेजों द्वारा की गयी दमनात्मक कार्यवाही के विरुद्ध आरम्भ हुआ था। इसमें अंग्रेज़ो द्वारा हिन्दुओ ओर मुस्लिमों के बीच दंगा करने का काफी प्रयास हुआ। जिसमें वो सफल भी हुए,इसी को आधार बनाकर विनायक दामोदर सावरकर ने 'मोपला' नामक उपन्यास की रचना की है। (विनायक दामोदर सावरकर को लेकर भी भारतीयों में मतभेद है)
मालाबार तट पर केरल में 1836 -1922 तक यहा के जागीरदार हिन्दू थे जबकि निम्न जाति के किसानों ने इसाई एवं मुस्लिम जैसे धर्म ग्रहण कर लिया
1836 में इसकी शुरुआत अली मुस्लियार खाँ के नेतृत्व में हुई
दूसरी बार 1922 में पुनः शुरुआत हुई व खिलाफत आंदोलन से मिल गया
मालाबार क्षेत्र में मोपलाओं द्वारा 1922ई. में विद्राह किया गया। प्रारम्भ में यह विद्रोहअंग्रेज़ हुकूमत और छंद रूप से स्थानीय ज़मींदारों के विरुद्ध था। जिसे बाद अंग्रेज़ो व ज़मींदारों ने हिन्दू मुस्लिम बनाने का प्रयास किया जो कुछ जड़ तक सफल भी हुए, महात्मा गाँधी, शौकत अली, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जैसे नेताओं का सहयोग इस आन्दोलन को प्राप्त था। इस आन्दोलन के मुख्य नेता के रूप में 'अली मुसलियार' चर्चित थे। 15 फ़रवरी, 1922. को सरकार ने निषेधाज्ञा लागू कर ख़िलाफ़त तथा कांग्रेस के नेता याकूब हसन, यू. गोपाल मेनन, पी. मोइद्दीन कोया और के. माधवन नायर को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद यह आन्दोलन स्थानीय मोपला नेताओं के हाथ में चला गया। 1922ई. में इस आन्दोलन ने हिन्दू-मुसलमानों के मध्य साम्प्रदायक आन्दोलन का रूप ले लिया, जो कि स्थानीय ज़मींदारों व अंग्रेज़ अफसरों की मिली भगत के कारण ही सम्भव हुआ,इस दंगे में जान माल का बहुत ज़्यादा नुकसान नही हुआ,हालांकि(सावरकर जिन्हें लेकर भारत के लोगो मे काफी मतभेद है)ने इस पर एक उपन्यास भी लिखा है,)जिसमें हजारों हिंदुओ के मारे जाने की बात कही है,
1921இல் நடைபெற்ற மலபார் கலகத்தைப் பற்றிய காந்தியடிகளின் கருத்து
- 1921 ஆம் ஆண்டு ஒத்துழையாமை இயக்கம் நடந்தபோது மலபார் மாப்பிள்ளை கிளர்ச்சி ஏற்பட்டது.
- மலபார் மாப்பிள்ளை (முஸ்லிம்கள்) கிளர்ச்சியில் ஈடுபட்டனர்.
- இவர்கள் தங்கள் விவசாய வாழ்வினை கெடுத்த ஆங்கிலேயர்கள் மற்றும் கேரள இந்துக்கள் மீது வன்முறையில் ஈடுபட்டனர்.
- அரசாங்கத்திற்கு எதிரான போராட்டம் இந்துக்களுக்கு எதிராக மாறி பல இந்துக்கள் கொல்லப்பட்டனர்.
- காந்தியடிகள் இந்த நிகழ்வினை இந்து முஸ்லிம் மோதலாகவே கருதினார்.
- இந்த நிகழ்விற்காக முஸ்லிம் தலைவர்கள் மன்னிப்பு கேட்க வேண்டும் என காந்தி கூறினார்.
- இந்த கலகம் இந்து மகா சபை தன் பிரசாரத்தினை புதுப்பிக்க காரணமாக அமைந்தது.