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अपठित खण्ड
प्र.26. मस्तिष्क की शक्ति से ही हम गिरते और उठते हैं, बड़े होते और
चलते है विचार की तीव्र शक्ति से ही सब काम होते है। जो अपने विचारों के
स्त्रोत को नियंत्रित कर सकते हैं, वह अपने मनोवेग पर भी शासन कर
सकता है। ऐसा व्यक्ति अपने संकल्प से बृद्धावस्था को यौवन में बदल सकता
है, रोगी को निरोगी कर सकता है। विचार शक्ति संसार को चेतना प्रदान
करती है। शुभ उन्नत और कल्याणकारी विचारों से मानव शीर अधिक सक्षम
एव निरोगी रहता है।
1.
उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
2.
इस गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
3.
रेखांकित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए।
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