'आत्मकथ्य' कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
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आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. कवि ने इस कविता में खड़ी बोली के परिष्कृत रूप का उपयोग किया है|
आत्मकथ्य में तत्सम शब्दों को भावों के अनुकूल किया गया है| उदाहरण-
‘‘इस गंभीर अनंत नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास।’’
‘‘भूलें अपनी या प्रवंचना औरों की दिखलाऊँ मैं।।’’
2. इस कविता में कवि ने प्रतीकात्मक शब्दों का काफी प्रयोग किया है| उदाहरण-
‘‘मधुप गुन-गुनाकर कह जाता कौन कहानी यह अपनी, मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ, देखो कितनी आप घनी।’’
यहाँ ‘मधुप’ मन का प्रतीक है, तो ‘मुरझाकर गिरती हुई पत्तियाँ’ नश्वरता का प्रतीक है।
3. इस कविता कवि ने प्रकृति प्रसंगों के माध्यम से कवि ने प्रेयसी के सौदर्य को अभिव्यक्त किया है| उदाहरण-
‘‘जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।’’
4. अलंकारों के प्रयोग ने भी इस कविता के काव्य को काफी रोचक बना दिया है| उदाहरण-
पुनरुक्तिप्रकाश- आलिंगन में आते-आते।
अनुप्रास अलंकार- 1. हँसते होने वाली।
2. कौन कहानी यह अपनी।
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