Agar mei pradhan mantri banu tho speech in hindi for class 5
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बचपन में मैंने एक कविता पढ़ी थी, यदि होता किन्नर नरेश मैं, राजमहल में रहता, सोने का सिंहासन होता सिर पर मुकुट चमकता। तभी से दिल में तमन्ना थी कि कुछ ऐसा काम कर जाऊं कि जग में नाम हो जाए। लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दिया। राजतंत्र खत्म हो गए। प्रिवी पर्स उड़ा दिए गए। तो नरेश बनना कैंसल।
सौभाग्य से छठी क्लास में गुरुजी ने एक निबंध लिखवाया था-यदि मैं प्रधानमंत्री होता। तभी से मैं सपनों में रोज देश का भाग्य विधाता बन जाता हूं और शेखचिल्लियों की तरह चिल्ला-चिल्लाकर खुद को प्रधानमंत्री कहलवाने की जबर्दस्ती कर रहा हूं। हुआं-हुआं के इस चौतरफा शोर में मैं देखता हूं कि और भी कुछ लोग कूद पड़े हैं।
दरअसल एक सफल प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह की सफल पारी देखकर लोग चकित हैं और अपने बारे में आश्वस्त भी। जब वह चुप रहकर और मैडम के कहे का पालन भर कर नौ साल प्रधानमंत्री बने रह सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? बल्कि यूपीए अगर अगला चुनाव जीत जाए और अपनी चुप्पी में मनमोहन जी शीर्ष पद के लिए एक बार फिर बाजी मार जाएं, तो वह इतिहास में अपना नाम अमर कर देंगे।
बाद की पीढ़ी के लोग पढ़ेंगे कि भारत का सबसे सफल प्रधानमंत्री वह व्यक्ति था, जिसने कुछ कहा नहीं। लोग बेकार ही कहते फिरते हैं कि अमुक आदमी अच्छा वक्ता है, तो राजनीति में जरूर सफल होगा। क्या खाक सफल होगा? क्या मनमोहन सिंह को कभी बोलते हुए महफिल लूटते देखा है! वह जब भी जुबान खोलते हैं, ऐसा लगता है कि एक अलसाया आदमी अभी-अभी उठा है।
मनमोहन सिंह की देखादेखी भावी प्रधानमंत्रियों की सूची बन रही है। ये वे लोग हैं, जो काफी वर्षों से चुप ही रहते हैं और मैडम का ही कहा सुनते हैं। सफलता पाने की टिप्स बताने वाले विशेषज्ञ इंटरव्यू में सफल होने के लिए नया कोर्स तैयार कर रहे हैं। वे भी मान चुके हैं कि न धुआंधार बोलने वाला सफल होता है, और न ही काम करने वाला।
मनमोहन सिंह को ध्यान में रखते हुए वक्तृत्व कला का एक नया मॉडल तैयार किया जा रहा है, जिसमें जोर इस बात पर है कि अव्वल तो बोलना मत, और बोलना तो उतना ही, जितना पूछा जाए। कोई आप पर हमला करता रहे, पर अपने मुखमंडल को थोड़ा भी विकृत मत करना। उसके सामने ऐसे रहना, जैसे दुकानों के बाहर बने-बनाए मॉडल रहते हैं। कोई इतना वीतरागी होगा, तभी मनमोहन सिंह की जगह ले पाएगा।
कैसा लगा
सौभाग्य से छठी क्लास में गुरुजी ने एक निबंध लिखवाया था-यदि मैं प्रधानमंत्री होता। तभी से मैं सपनों में रोज देश का भाग्य विधाता बन जाता हूं और शेखचिल्लियों की तरह चिल्ला-चिल्लाकर खुद को प्रधानमंत्री कहलवाने की जबर्दस्ती कर रहा हूं। हुआं-हुआं के इस चौतरफा शोर में मैं देखता हूं कि और भी कुछ लोग कूद पड़े हैं।
दरअसल एक सफल प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह की सफल पारी देखकर लोग चकित हैं और अपने बारे में आश्वस्त भी। जब वह चुप रहकर और मैडम के कहे का पालन भर कर नौ साल प्रधानमंत्री बने रह सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? बल्कि यूपीए अगर अगला चुनाव जीत जाए और अपनी चुप्पी में मनमोहन जी शीर्ष पद के लिए एक बार फिर बाजी मार जाएं, तो वह इतिहास में अपना नाम अमर कर देंगे।
बाद की पीढ़ी के लोग पढ़ेंगे कि भारत का सबसे सफल प्रधानमंत्री वह व्यक्ति था, जिसने कुछ कहा नहीं। लोग बेकार ही कहते फिरते हैं कि अमुक आदमी अच्छा वक्ता है, तो राजनीति में जरूर सफल होगा। क्या खाक सफल होगा? क्या मनमोहन सिंह को कभी बोलते हुए महफिल लूटते देखा है! वह जब भी जुबान खोलते हैं, ऐसा लगता है कि एक अलसाया आदमी अभी-अभी उठा है।
मनमोहन सिंह की देखादेखी भावी प्रधानमंत्रियों की सूची बन रही है। ये वे लोग हैं, जो काफी वर्षों से चुप ही रहते हैं और मैडम का ही कहा सुनते हैं। सफलता पाने की टिप्स बताने वाले विशेषज्ञ इंटरव्यू में सफल होने के लिए नया कोर्स तैयार कर रहे हैं। वे भी मान चुके हैं कि न धुआंधार बोलने वाला सफल होता है, और न ही काम करने वाला।
मनमोहन सिंह को ध्यान में रखते हुए वक्तृत्व कला का एक नया मॉडल तैयार किया जा रहा है, जिसमें जोर इस बात पर है कि अव्वल तो बोलना मत, और बोलना तो उतना ही, जितना पूछा जाए। कोई आप पर हमला करता रहे, पर अपने मुखमंडल को थोड़ा भी विकृत मत करना। उसके सामने ऐसे रहना, जैसे दुकानों के बाहर बने-बनाए मॉडल रहते हैं। कोई इतना वीतरागी होगा, तभी मनमोहन सिंह की जगह ले पाएगा।
कैसा लगा
mahi2007:
accha laga...lekin abhi ke pradhan mantri modiji hai tho aaj ke topic mei relate nahi hoga...start bohut accha hai..thanks
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यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता
यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता? एक मधुर कल्पना है।
मेरी कल्पना साकार हो जाए, तो मैं देश का कायापलट कर दूँगा । किसी जादू की छड़ी से नहीं, बल्कि अपने सद्कर्त्तव्यों से, अपनी दृढ़ इच्छा-शक्ति से ।
आज हमारा भारत विभिन्न समस्याओं के घेरे में छटपटा रहा है । सदियों की परतंत्रता के कारण हमारे देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक स्थितियों में जो ह्रास हुआ, उसकी पूर्ति आज तक नहीं हो सकी है । मैं जानता हूँ कि प्रधानमंत्री का पद अत्यन्त दायित्वपूर्ण होता है, अत: प्रधानमंत्री बनकर मैं सर्वप्रथम देश की उन कमजोरियों को दूर करने का प्रयास करूँगा, जो हमारी प्रगति में बाधक बनी हुई हैं । मैं यह भी जानता हूँ कि प्रधानमंत्री सम्पूर्ण देश का प्रतिनिधि होता है, अत: मैं प्रमुख राजनीतिक दलों से संभाषण करूँगा तथा उनके सहयोग से एक राष्ट्रीय सरकार का निर्माण करूँगा । मैं अपने मंत्रिमंडल में विभिन्न क्षेत्रों के सुयोग्य व्यक्तियों को सम्मिलित करूँगा । मैं अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों के सद्विवेक और सुनीतियों को अपनाऊंगा
धन्यवाद
आशा करता हूँ यह आपकी मदद करेगा
यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता? एक मधुर कल्पना है।
मेरी कल्पना साकार हो जाए, तो मैं देश का कायापलट कर दूँगा । किसी जादू की छड़ी से नहीं, बल्कि अपने सद्कर्त्तव्यों से, अपनी दृढ़ इच्छा-शक्ति से ।
आज हमारा भारत विभिन्न समस्याओं के घेरे में छटपटा रहा है । सदियों की परतंत्रता के कारण हमारे देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक स्थितियों में जो ह्रास हुआ, उसकी पूर्ति आज तक नहीं हो सकी है । मैं जानता हूँ कि प्रधानमंत्री का पद अत्यन्त दायित्वपूर्ण होता है, अत: प्रधानमंत्री बनकर मैं सर्वप्रथम देश की उन कमजोरियों को दूर करने का प्रयास करूँगा, जो हमारी प्रगति में बाधक बनी हुई हैं । मैं यह भी जानता हूँ कि प्रधानमंत्री सम्पूर्ण देश का प्रतिनिधि होता है, अत: मैं प्रमुख राजनीतिक दलों से संभाषण करूँगा तथा उनके सहयोग से एक राष्ट्रीय सरकार का निर्माण करूँगा । मैं अपने मंत्रिमंडल में विभिन्न क्षेत्रों के सुयोग्य व्यक्तियों को सम्मिलित करूँगा । मैं अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों के सद्विवेक और सुनीतियों को अपनाऊंगा
धन्यवाद
आशा करता हूँ यह आपकी मदद करेगा
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