Agar ped chalte toh par kavita
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अगर पेड भी चलते होते
कितने मजे हमारे होते
बांध तने में उसके रस्सी
चाहे जहाँ कहीं ले जाते
जहाँ कहीं भी धूप सताती
उसके नीचे झट सुस्ताते
जहाँ कहीं वर्षा हो जाती
उसके नीचे हम छिप जाते
लगती भूख यदि अचानक
तोड मधुर फल उसके खाते
आती कीचड-बाढ क़हीं तो
झट उसके उपर चढ ज़ाते
अगर पेड भी चलते होते
कितने मजे हमारे होते
कितने मजे हमारे होते
बांध तने में उसके रस्सी
चाहे जहाँ कहीं ले जाते
जहाँ कहीं भी धूप सताती
उसके नीचे झट सुस्ताते
जहाँ कहीं वर्षा हो जाती
उसके नीचे हम छिप जाते
लगती भूख यदि अचानक
तोड मधुर फल उसके खाते
आती कीचड-बाढ क़हीं तो
झट उसके उपर चढ ज़ाते
अगर पेड भी चलते होते
कितने मजे हमारे होते
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