ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै। गरीब निवाजु गुसाईआ मेरा माथै छत्रु धरै॥
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ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै। गरीब निवाजु गुसाईआ मेरा माथै छत्रु धरै॥
इस पंक्ति में रैदास जी कहते है , हे प्रभु , आपके बिना कौन कृपालु है , आप गरीब तथा दिन-दुखियों पर दया करने वाले है | आप ही ऐसे कृपालु स्वामी है जो मुझ जैसे अछूत और नीच के माथे पर राजाओं जैसा मुकुट रख दिया | आपने मुझे राजाओं जैसा सम्मान प्रदान किया मैं अभागा हूँ |मुझे पर आपकी असीम कृपा है |
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Answer:
तुम्हारे बिना कौन ऐसा कृपालु है जो भक्त के लिए इतना बडा कार्य कर सकता है । तुम गरीब तथा दिन – दुखियों पर दया करने वाले हो । तुम ही ऐसा कृपालु स्वामी हो जो मुझ जैसे अछूत और नीच के माथे पर राजाओं जैसा छत्र रख दिया । तुम मुझे राजाओं जैसा सम्मान प्रदान कर दिया ।
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