Hindi, asked by sherali03012002, 9 months ago

अर्द्ध स्वरों का परिचय दीजिए।​

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Answered by RewelDeepak
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Answer:

स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण,स्वर कहलाते हैं। ... प्रसृत ( खुले होंठ) / unrounded; वर्तुल ( गोलाकार होंठ) / rounded; अर्ध-वर्तुल / semi-rounded.

Answered by mad210218
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अर्द्ध स्वरों का परिचय :

व्यंजन वह ध्वनि है जिसके उच्चारण में हवा अबाध गति से न निकलकर मुख के किसी भाग (तालु, मूर्धा, दांत, ओष्ठ आदि) से या तो पूर्ण अवरुद्ध होकर आगे बढ़ती है या संकीर्ण मार्ग से घर्षण करते हुए या पार्श्व से निकले। इस प्रकार वायु मार्ग में पूर्ण या अपूर्ण अवरोध उपस्थित होता है।

उच्चारण की प्रक्रिया या प्रयत्न के परिणाम-स्वरूप उत्पन्न व्यंजनों का वर्गीकरण इस प्रकार है-

  1. स्पर्श : क, ख, ग, घ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, प, फ, ब, भ और क़- सभी ध्वनियां स्पर्श हैं।
  2. मौखिक व नासिक्य : ङ, ञ, ण, न, म व्यंजन नासिक्य हैं।
  3. पार्श्विक : ल पार्श्विक है।
  4. लुंठित : हिन्दी में 'र' व्यंजन इसी तरह की ध्वनि है।
  5. उत्क्षिप्त : ड़ और ढ़ ऐसे ही व्यंजन हैं।
  6. अर्ध स्वर

अर्ध स्वर : इन ध्वनियों के उच्चारण में उच्चारण अवयवों में कहीं भी पूर्ण स्पर्श नहीं होता तथा श्वासवायु अनवरोधित रहती है।

हिन्दी में ( य, व )अर्धस्वर हैं।

ईषत/अंत:स्थ व्यंजन अथवा अर्ध स्वर व्यंजन कहलाते है - य, र, ल, व को अंत:स्थ व्यंजन कहते है। यह आधे स्वर और आधे व्यंजन कहलाते है। इनके उच्चारण में जिह्वा विशेष सक्रिय नहीं रहती है।

अन्तस्थ : य, र, ल, व, को अन्तस्थ कहते है ; क्योँकि इनका उच्चारण व्यंजन तथा स्वरों का मध्यवर्ती-सा लगता है । स्वर व्यंजनों के ये ‘ अन्तःस्थिति ‘ से जान पड़ते हैं । इनका उच्चारण जीभ , तालु , दाँत , और ओठों के परस्पर सटाने से होता है । इन चारों वर्णों को ‘अर्द्ध स्वर’ भी कहा जाता है ।

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