बड़े भाई साहब' पथ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर - तरीकों पर व्यंग्य किया है ? क्या आप उनके वीचारों से सहमत हैं ? उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिए?
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बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा व्यवस्था के आधुनिक तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है। इस पाठ में बड़े भाई साहब शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि आजकल की शिक्षा प्रणाली रटंतु विद्या बनकर रह गयी है। इसमें केवल विद्यार्थी लोग पाठ को पढ़ भर लेते हैं और उसको रटकर परीक्षा दे आते हैं। उसके पश्चात में पाठ का मूल आशय भूल जाते हैं।
आज की शिक्षा प्रणाली केवल किताबी ज्ञान तक सीमित रह गई है। इसमें व्यावहारिकता का अभाव है और जीवन की असली शिक्षा किताबी ज्ञान से नहीं बल्कि जीवन के वास्तविक अनुभवों से मिलती है। इन्हीं अनुभवों से मिली शिक्षा ही जीवन में काम आती है। किताबी ज्ञान प्राप्त कर लेना तो हर किसी के लिए आसान होता है, लेकिन जीवन के अनुभव से गुजर कर उनसे कुछ सीख लेना बड़ा ही कठिन कार्य होता है।
आज की शिक्षा पद्धति का सबसे बड़ा दोष यही है कि इसमें केवल किताबी ज्ञान पर ध्यान जाता है, और व्यवहारिक शिक्षा को नजरअंदाज कर दिया जाता है। किताब में लिखी गई बातों का मूल अर्थ क्या है, वह किस तरह से सकती हैं, यह नही बताया जाता|
Answer:
बड़े भाई साहब पाठ में लेखक ने शिक्षा के विभिन्न तौर तरीकों पर व्यंग किया है। लेखक के अनुसार आजकल विद्यार्थियों को जो कुछ भी पढ़ाया जा रहा है उससे उनके वास्तविक जीवन का कोई लेना देना नहीं है। इसे पढ़कर उन्हें जीवन में कोई विशेष लाभ भी नहीं होता किंतु परीक्षा पास करने के लिए विद्यार्थियों को यह सब याद करना पड़ता है। लेखक कहता है कि इतिहास में अंग्रेजों का इतिहास पढ़ाया जाता है। इतिहास का वर्तमान से कोई संबंध नहीं है और इसे पढ़कर विद्यार्थी कोई बहुत बड़ा नाम भी नहीं कमा सकते। इसी प्रकार ज्योमेट्री में भी अनेक प्रकार के उल्टे सीधे सवाल पूछे जाते हैं जो विद्यार्थियों के जीवन में कभी काम नहीं आतेलेखक कि यह बात बिल्कुल सही है कि विद्यार्थियों को आजकल जो कुछ पढ़ाया जा रहा है वह उचित नहीं है। यह पढ़ाई लिखाई उनके जीवन में कोई बदलाव लाने वाली नहीं है। यह पढ़ाई उन्हें किसी भी प्रकार से आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम नहीं है। अतः हम लेखक के विचारों से पूरी तरह सहमत हैं।
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