बचपन में विकसित हुए आसक्तिपूर्ण बंधनों का दूरगामी प्रभाव होता है। दिन-प्रतिदिन के जीवन के उदाहरणों से इनकी व्याख्या कीजिए।
Answers
Answer:
शिशु एवं उनके माता-पिता (पालनकर्ता) के बीच स्नेह का जो सांवेगिक बंधन विकसित होता है उसे आसक्ति कहते हैं| मानव शिशु अपने माल-पिता अथवा देख-रेख करने वाले के प्रति भी आसक्ति विकसित करते है जो लगातार और उपयुक्त ढंग से उनके प्यार और दुलार के संकेतों का उपयुक्त प्रत्युत्तर देते हैं|
एरिक एरिक्सन (1968) के अनुसार जीवन का प्रथम वर्ष आसक्ति के विकास के लिए महत्वपूर्ण समय होता है| यह विशवास अथवा अविश्वास के विकास को अवस्था की निरूपित करता है। विश्वास का बोध भौतिक सुख की अनुभूति पर निर्मित होता है जो संसार के प्रति एक प्रत्याशा विकसित करता है कि यह सुरक्षित और अच्छा स्थान है| बच्चों में विश्वास का बोध सहानुभूतिपूर्ण एवं संवेदनशील पैतृक प्रभाव द्वारा विकसित होता है| यदि माता-पिता संवेदनशील हैं, स्नेहिल एवं उनमें स्वीकृति प्रदान करने बाले है तो यह बच्चे में परिवेश को जानने का मजबूत आधार प्रदान करता है। ऐसे बच्चों में सुरक्षित लगाव के विकास को संभावना बढ जाती है।
दूसरी तरफ , यदि माता-पिता असंवेदनशील हैं एवं असंतोष प्रदर्शित करते हैं तथा बच्चों में दोष देखते है तो इससे बच्चे में आत्म-संदेह को भावना विकसित हो सकती है। सुरक्षित लगाव वले बच्चे गोद में लेने पर सकारात्मक व्यवहार करते है, स्वतंत्रतापूर्वक घूमते है एवं खेलते हैं जबकी असुरक्षित लगाव वाले बच्चे अलग होने पर दुश्चिंता की अनुभूति करते हैं तथा रोते-चिल्लाते है क्योकि उनमें भय पाया जाता है और वे विचलित हो जाते हैं। बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए संवेदनशील एवं स्नेहिल प्रौढ़ों के साथ घनिष्ठ अंतःक्रियात्मक संबंध प्रथम चरण होता है|
बचपन में विकसित हुए आसक्तिपूर्ण बंधनों का दूरगामी प्रभाव होता है। दिन-प्रतिदिन के जीवन के उदाहरणों से व्याख्या
बच्चे और उस के माता-पिता के बीच में स्नेह का जो रिश्ता विकसित होता है, उसे आस्तिक कहते है| मानव अपने बच्चे अपने माता-पिता तथा जो उनकी देख-रेख करता है उनके प्रति आस्तिक तथा विकसित करते है जो लगातार और अच्छे ठंग से उनके प्यार और दुलार के संकेतों का उपयुक्त करते है|
एरिक एरिक्सन के अनुसार जीवन का प्रथम वर्ष आस्तिक के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय होता है| यह विश्वास तथा अविश्वास के विकास को निरूपित करता है| विश्वास का बोध सुख की अनुभूति पर निर्मित होता है|
बच्चों में सहानुभूतिपुर्ण और संवेदनशील माता-पिता द्वारा विकसित होती है| यदि माता पिता संवेदनशील है तो बच्चों में भी परिवेश को जानने का मजबूत आधार प्रदान करता है|
दूसरी तरफ़ यदि माता-पिता असंवेदनशील है और असंतोष प्रदर्शित करते है तथा बच्चों में दोष देखते है , तो इससे बच्चे में भी आत्म संदेह की भावना विकसित हो जाती है|
सुरक्षित लगाव वाले बच्चे गोद में भी सकारात्मक व्यवहार करते है और स्वतंत्रतापूर्वक घूमते है और खेलते है कभी असुरक्षित लगाव वाले बच्चे अलग होने पर रोते है चिल्लाते है उन में भय पाया जाता है|
बच्चे के स्वस्थ्य विकास के लिए संवेदनशील के लिए प्रथम चरण होता है|
मनोविज्ञान से संबंधित प्रश्न के लिंक
https://brainly.in/question/15660852
‘बच्चे के विकास में बच्चे के परिवेश की महत्वपूर्ण भूमिका है।’ उदाहरण की सहायता से अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।