Psychology, asked by Kanishque5254, 8 months ago

विकास के जीवनपर्यत परिप्रेक्ष्य की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

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Answered by bhatiamona
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विकास के जीवनपर्यत परिप्रेक्ष्य की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित है:

विकास जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है , विकास में हर आयु का हिसाब होता है, जो  की जन्म के बाद शुरू हो जाता है| जन्म से लेकर वृधावस्था तक सभी आयु समूहों में होता है| |

जिस में  विकास गतिशील ,क्रमबद्ध तथा पूर्वक कथनीय परिवर्तनों का स्वरूप| विकास में मुख्य रूप से संवृद्धि और हास् जो वृधावस्था में देखा जाता है|

पैदा होने एस जन्म से मृत्यु तक की सम्पूर्ण कल में मानव के विकास की भिन्न-भिन्न प्रक्रियाएं ,अथार्त  जैविक , संज्ञानात्मक तथा समाज , एक व्यक्ति के विकास में एक दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित रहते है|

विकास के कारण आयाम के कुछ आयामों में वृद्धि हो सकती है , जबकि हास् का प्रदर्शन करते है| उदाहरण प्रौढ़ों के अनुभव उन्हें अधिक बुद्धिमान बना सकते है तथा उन के निर्णयों को दिशा प्रदान कर सकते है| जबकि उम्र बढ़ने के साथ गति की मांग करने वाले कार्यों जैसे  बाहरी काम करना मुश्किल हो जाता है|  

विकास अत्यधिक लचीला या संशोधन योग्य होता है, अथार्त व्यक्ति में होने वाली मानसिक विकास में दिलचस्पी पाई जाती है| इस लचीलेपन में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्नता पाई जाती है| इसका अर्थ यह है की वह अपने सम्पूर्ण जीवन में योग्यताओं में सुधार या विकास किया जाता है|

भारत में आज़ादी से पहले व्यक्ति की और आज़ादी के बाद व्यक्तियों का अनुभव सब बदल गया है| आज के समय में पहले की तरह सब कुछ बदल गया है, अब शिक्षा से लेकर स्कूल सब में विकास हो गया है|

विकास अनेक विभिन्न विषयों जैसे मनोविज्ञान , मानवशास्त्र , समाज शास्त्र तथा तंत्रिका विज्ञान में विकास का अध्ययन किया जाता है|  प्रत्येक विषय सम्पूर्ण जीवन कर्म में होने वाले विकास को समझने का प्रयास किया जाता है|

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विकास किसे कहते हैं? यह संवृद्धि तथा परिपक्वता से किस प्रकार भिन्न है?

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