भोजन मंत्र लिखिए। उत्तर-भोजन मंत्र
ब्रह्मार्पण ब्रह्महविर्ब्रह्माग्न ब्रह्माणा हुतम्।।
ब्रमेव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समानि। ऊँ सह नाववतु।
सह न भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनाव, तमस्तु।
मा विविषाव है।।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
Answers
Explanation:
अन्न ग्रहण करने से पहले
विचार मन मे करना है
किस हेतु से इस शरीर का
रक्षण पोषण करना है
हे परमेश्वर एक प्रार्थना
नित्य तुम्हारे चरणों में
लग जाये तन मन धन मेरा
विश्व धर्म की सेवा में ॥
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।।
ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्विषावहै॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
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या कुन्देन्दुतुषारहारधवलाप्रार्थना: वह शक्ति हमें दो दया निधे!येषां न विद्या न तपो न दानंविद्यां ददाति विनयं!हे जग त्राता विश्व विधाता!दया कर दान विद्या का हमे परमात्मा देना!प्रातः स्मरण - दैनिक उपासनाऐ मालिक तेरे बंदे हम!
भोजन मंत्र
ब्रहमार्पणं ब्रहमहविर्ब्रहमाग्नौ ब्रहमणा हुतम्।
ब्रहमैव तेन गन्तव्यं ब्रहमकर्मसमाधिना ॥
ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:: ॥
अन्न ग्रहण करने से पहले
विचार मन मे करना है
किस हेतु से इस शरीर का
रक्षण पोषण करना है
हे परमेश्वर एक प्रार्थना
नित्य तुम्हारे चरणो में
लग जाये तन मन धन मेरा
विश्व धर्म की सेवा में ॥