Hindi, asked by nikhilashar, 9 months ago

भाववाचक संज्ञाएँ सदैव---------में प्रयुक्त होती हैं |(रिक्त स्थान भरिए। ) बहुवचन एकवचन उपर्युक्त दोनों भी नहीं

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Answered by sahatrupti21
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संज्ञा परिभाषा

संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते हैं जिससे किसी विशेष वस्तु अथवा व्यक्ति के नाम का बोध हो.

‘वस्तु’ केवल पदार्थ और वाणी का वाचक नहीं है. अपितु उनके धर्मों का भी सूचक है. अतः वस्तु के अन्तर्गत प्राणी, पदार्थ और धर्म आते हैं. इन्हीं के आधार पर संज्ञा के भेद प्रस्तुत हैं

संज्ञा (Sangya-Noun )के भेद /प्रकार (Sangya ke Bhed)

Sangya-Noun संज्ञा के तीन भेद हैं-(1) व्यक्तिवाचक, (2) जातिवाचक, (3) भाववाचक.

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा

जिस शब्द से किसी एक वस्तु या व्यक्ति का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं, जैसे-श्याम, गंगा, दिल्ली, जापान, रामचरितमानस, सिपाही, विद्रोह, होली, दीपावली आदि.

व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ निम्नलिखित रूपों में पाई जाती है

(1) व्यक्तियों के नाम-श्याम, हरि, सुरेश.

(2) दिशाओं के नाम-पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण.

(3) देशों के नाम-भारत, जापान, अमरीका, पाकिस्तान,बर्मा.

(4) राष्ट्री2. जातिवाचक संज्ञा

-जिस संज्ञा से किसी जाति के सम्पूर्ण पदार्थों व उनके समूहों का बोध होता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं, जैसे-घर, पर्वत, मनुष्य, नदी, मोर, सभा आदि.

जातिवाचक संज्ञाएँ निम्नलिखित स्थितियों में होती हैंय जातियों के नाम-भारतीय, रूसी, अमरीकी.

भाववाचक संज्ञा

जिस संज्ञा से व्यक्ति या वस्तु के गुण या धर्म, दशा अथवा व्यापार का बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं,

जैसे-लम्बाई, जवानी, चतुराई, मिठास, नम्रता, नारीत्व, सुन्दरता, समझ इत्यादि पदार्थ का गुण या धर्म पदार्थ से अलग नहीं रह सकता. व्यक्तिवाचक संज्ञा की तरह भाववाचक संज्ञा से भी किसी एक ही भाव का बोध होता है. धर्म, गुण, अर्थ और भाव प्रायः पर्यायवाची शब्द हैं. इस संज्ञा का अनुभव होता है तथा इसका बहुवचन प्रायः नहीं होता है.

भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण-भाववाचक संज्ञा बनाने का प्राचीन नियम यह भी था कि विशेषण के अन्त में ई, पन, हट, वा, पर, स प्रत्यय जोड़ दिया जाए तथा संस्कृत की धातु के अन्त में ता, त्व जोड़ दिया जाए, परन्तु अब इस प्रक्रिया को अत्यन्त व्यापक तथा सर्वथा वैज्ञानिक रूप प्रदान कर दिया गया है.

उदाहरण देखिए (sangya-Noun)

Answered by kavita7641
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Answer:

जिस शब्द के द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान अथवा भाव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते हैं; जैसे-आयुष, नेहा, गाजियाबाद, पुस्तक, बुढ़ापा, ईमानदारी, गरमी इत्यादि।

संज्ञा के तीन भेद होते हैं

व्यक्तिवाचक

जातिवाचक

भाववाचक

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा – जिन शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु के नाम का पता चले, वे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे-जवाहर लाल नेहरू, अमिताभ बच्चन, नरेंद्र मोदी, बाइबिल, कुरान, रामायण, महाभारत, रूस, अमेरिका, दिल्ली, पंजाब आदि शब्द विशेष व्यक्ति, वस्तु और स्थान की ओर संकेत कर रहे हैं। इसलिए ये व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं।

2. जातिवाचक संज्ञा – जो शब्द किसी प्राणी, वस्तु या स्थान की पूरी जाति का बोध कराते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे-चिड़िया, पुस्तक, पहाड़, अध्यापक, फूल, आदि।

अन्य उदाहरण – शेर, चीता, हाथी, तोता, कोयल, मोर, घोड़ा, नदी, सागर, पुस्तक, मेज, आदि।

3. भाववाचक संज्ञा – वे संज्ञा शब्द जिनसे प्राणी या वस्तु के गुण, दोष, अवस्था, दशा आदि का ज्ञान होता है, वे भाववाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे-मिठास, बुढ़ापा, थकान, गरीबी, हँसी, साहस, वीरता आदि शब्द भाव, गुण, अवस्था तथा क्रिया के व्यापार का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये भाववाचक संज्ञाएँ हैं।

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