Hindi, asked by Goyal85, 1 year ago

चिर सजग आँखे उनींदी आज कितना व्यस्त बाना है। जाग तुझको दूर जाना! अचल हिमगिरि के हृदय में आज चाहे कम्प हो ले, या प्रलय के आँसुओं में मौन अलसित व्योम रो ले; आज पीलोक को डोले तिमिर की घोर छाया, जा या विद्युत - शिखाओं में निठुर तूफान बोले! पर तुझे है नष्ट - पथ पर निशान अपनी छुट्टी आ जाओ! जा तुझको दूर जाना! बाँध लेगे क्या तुझे यह मोम के बन्धन सजीले? पनी की बाधा बनेगे तितलियों के पर रँगीले? । । विश्व का क्रंदन भुला करेगा मधुप की मधुर गुनगुन, क्या डुबा देगे तुझे यह फूल के दल में गीले? तु न अपनी छाँह को अपने लिए कारा बनाना। जाग तुझको दूर जाना!


उपयुक्त पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

१. पद्दांश की कवयित्री व शीर्षक का नाम उल्लेख कीजिए

२. कवित्री आंखों से क्या प्रश्न करती है

३. कवित्री साधना पथ पर चलते हुए कौन-कौन सी कठिनाइयों के आने की बात कहती है


४. बांध लेंगे क्या तुझे यह मोम के बंधन सजीले पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए


५. मधुप व आलोक शब्दों के दो -दो पर्यायवाची शब्द लिखिए

Answers

Answered by Swarnimkumar22
3
\bold{\huge{Hay!!}}


\bold{Dear\:user!!}



\bold{\underline{Question-}}


१. पद्दांश की कवयित्री व शीर्षक का नाम उल्लेख कीजिए

२. कवित्री आंखों से क्या प्रश्न करती है

३. कवित्री साधना पथ पर चलते हुए कौन-कौन सी कठिनाइयों के आने की बात कहती है

४. बांध लेंगे क्या तुझे यह मोम के बंधन सजीले पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए

५. मधुप व आलोक शब्दों के दो -दो पर्यायवाची शब्द लिखिए



\bold{\underline{Answer-}}




यह पद्यांश महादेवी वर्मा के द्वारा लिखा गया है महादेवी वर्मा का जन्म फखाबाद ( उत्तर प्रदेश ) के एक प्रतिष्ठित शिक्षित कायस्थ में वर्ष 1907 में हुआ था । इनकी माता हेमरानी हिन्दी व संस्कृत की ज्ञाता । साधारण कवयित्री थीं । नाना व माता के गुणों का प्रभाव ही महादेवी जी पर पड़ा नौ वर्ष की छोटी आयु में ही विवाह हो जाने के बावजूद इन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा महादेवी वर्मा का दाम्पत्य जीवन सफल नहीं रहा । विवाह के बाद उन्होंने परीक्षाएँ सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की । उन्होंने घर पर ही चित्रकला एवं संगीत की शिक्षा अर्जित की । इनकी उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई । कुछ समय तक इन्होंने “ चाँद ” पत्रिका का समपादन किया इस महान लेखिका का स्वर्गवास 11 सितंबर 1987 को हो गया




(1).पद्यांश के कवित्री छायावादी रचनाकार महादेवी वर्मा है तथा काव्यांश का शीर्षक गीत है



(2).कवयित्री आँखों से प्रश्न करती हैं कि हे ! निरन्तर जागरूक रहने वाली आँखे आज नींद से भरी अर्थात् आलस्ययुक्त क्यों हो ? तुम्हारा वेश आज इतना अव्यवस्थित क्यों है ? आज अलसाने का समय नहीं है , इसलिए आलस्य का छोड़कर अब तुम जाग जाओ , क्योंकि तुम्हें बहुत दूर जाना है ।



(3).कवयित्री कहती हैं कि साधना - पथ पर चलते हुए दृढ़ हिमालय कम्पित हो जाए , आकाश से प्रलयकारी वर्षा होने लगे , घोर अन्धकार प्रकाश को निगल जाए या चाहे चमकती और कड़कती हुई बिजली से तूफान आने लगे , लेकिन तुम अपने पथ से विचलित मत होना और आगे बढ़ते रहना ।



(4). प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवयित्री अपने प्रिय से प्रश्न करती हैं कि क्या मोम के समान शीघ्र नष्ट हो जाने वाले अस्थिर , अस्थायी , परन्तु सुन्दर एवं अपनी ओर आकर्षित करने वाले ये सांसारिक बन्धन तुम्हें तुम्हारे पथ से विचलित कर देंगे ?


(5).मधुप = भंवरा ,भ्रमर

आलोक = प्रकाश , उजाला
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