Debate against GST in hindi
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वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) के अंतर्गत जून, 2016 से नेशनल वैल्यू एडेड टैक्स लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया हैं.
जी एस टी बिल एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर हैं, जो व्यापक पैमाने पर पूरे देश के निर्माता, व्यापारी और वस्तुओं और सेवाओं के उपभोक्ताओं पर लगेगा. यह टैक्स अन्य टैक्सो को हटा देगा, जो कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाये गये हैं. वस्तुओं और सेवाओं की खरीदी – बिक्री के प्रत्येक चरण पर लगने वाले इस टैक्स में ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट मेथड’ लगेगी. इस मेथड के अंतर्गत वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) के अधीन पंजीकृत व्यवसायों को टैक्स क्रेडिट क्लेम करने की सुविधा मिलेगी, जिन्होंने अपनी सामान्य व्यवसायिक गतिविधियों के दौरान यह टैक्स का भुगतान किया था. कर योग्य वस्तुओं और सेवाओं को एक – दुसरे से अलग परिभाषित नहीं किया गया हैं और इसके साथ ही कर की दर भी एक समान ही रखी गयी हैं, जो पूरी सप्लाई चैन पर लगेगी, जिसके द्वारा वह वस्तु या सेवा अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचेगी. वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर ही कर लगाने के लिए एक ही अथॉरिटी जिम्मेदार होगी. निर्यात [एक्सपोर्ट] पर शून्य दर [Zero rated] के साथ आयात पर घरेलु करों [Domestic Tax] के ही सामान टैक्स लगाया जाएगा.
वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) भारत में अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में बदलाव का एक बहुत बड़ा कदम हैं. विभिन्न केन्द्रीय करों और राज्य करों को मिलाना या समाप्त करना और इनके स्थान पर एक नये कर लगाने से दोहरे करारोपण [Double Taxation] और केस्केडिंग इफ़ेक्ट [Cascading effect] ख़त्म होगा और इसका फायदा राष्ट्रीय बाज़ार को मिलेगा. अगर एक आम आदमी के दृष्टिकोण से देखा जाये, तो उसके द्वारा चुकाए जाने वाले सभी करों की मात्रा में कमी आ जाएगी, जिनका भार वह आज लगभग 25% – 30% तक वहन करता हैं.
भारत में जी एस टी बिल के लागु होने पर यह कुछ समय के लिए शून्य दर के साथ अथवा बहुत ही कम दर के साथ लगाया जाएगा. शुरूआती चरणों में राज्यों की आय को GST के प्रभाव से दूर ही रखा जाएगा, परन्तु पेट्रोलियम और पेट्रोलियम पदार्थों पर GST Bill की दरें ही लगायी जाएंगी. मंत्री श्री जयंत सिन्हा के अनुसार : इस स्थिति में राज्यों को उनकी आय के संबंध में 5 सालों तक [या 5 सालों से कम समय तक] जो भी नुकसान होगा, उसकी भरपाई केंद्र के द्वारा राज्यों को की जाएगी.
संसदीय इतिहास और एम्पावर्ड कमिटी [History in Parliament & Empowered Committee]-:
केन्द्रीय बजट 2006 – 2007 के दौरान 28 फरवरी, 2006 को केन्द्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा घोषणा की गयी कि GST Bill 1 अप्रैल, 2010 को रखा जाएगा और इसके निर्माण में राज्य वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी भी केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करेगी.
इस घोषणा के बाद राज्य वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी ने 10 मई, 2007 को इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु जॉइंट वर्किंग ग्रुप बनाने का निश्चय किया.
इस जॉइंट वर्किंग ग्रुप के संगठन के बाद विभिन्न वित्त विशेषज्ञों, आदि से चर्चाओं और बातचीत के बाद 19 नवम्बर, 2007 को अपनी रिपोर्ट एम्पावर्ड कमिटी के सामने प्रस्तुत की.
27 नवम्बर, 2007 को एम्पावर्ड कमिटी के समक्ष रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा और इसके अनुरूप कुछ बदलावों के साथ फाइनल रिपोर्ट तैयार.
30 अप्रैल, 2008 को यह फाइनल रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी गयी.
12 दिसम्बर, 2008 को भारत सरकार द्वारा इस पर अपने कमेंट दिए गये.
16 दिसम्बर, 2008 को एम्पावर्ड कमिटी ने इन कमेंट्स को स्वीकार किया गया.
वैधानिक इतिहास [Legislative History]-:
सन 2000 में वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में राज्य वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी बनायीं गयी. अटल बिहारी बाजपेयी के जीवन के बारे में यहाँ पढ़ें| इसे बनाने का उद्देश्य वर्तमान टैक्सो को हटाकर नये वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) को लाने के लिए मॉडल बनाना था. यह एम्पावर्ड कमिटी पश्चिम बंगाल के वित्त और एक्साइज मंत्री असीम दासगुप्ता के प्रतिनिधित्व में काम कर रही थी.
जी एस टी बिल में शामिल मुख्य बातें [Salient features of Goods & Service Tax Bill]-:
इस बिल के अंतर्गत GST Bill के दो भाग होंगे, जिनके नाम और संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार हैं -:
केंद्र द्वारा लगाया जाने वाला -: केन्द्रीय जी एस टी,
राज्य द्वारा लगाया जाने वाला -: प्रांतीय जी एस टी.
दोनों GSTs की कर की दरें क्या होंगी, इसे निर्धारित किया जाएगा, जो कि इनकी आय [Revenue] और स्वीकार्यता [Acceptability] को ध्यान में रखकर तय की जाएगी. यह दोहरा मॉडल [Dual GST Model] विभिन्न प्रान्तों में लागु किया जाएगा.
साथ ही कर लगाने के नियम [Tax Provosions], कर योग्य आय [Taxable Income], कर योग्य व्यक्ति [Assessee] और कर की परिभाषाएं [Defination of Tax] सभी प्
वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) के अंतर्गत जून, 2016 से नेशनल वैल्यू एडेड टैक्स लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया हैं.
जी एस टी बिल एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर हैं, जो व्यापक पैमाने पर पूरे देश के निर्माता, व्यापारी और वस्तुओं और सेवाओं के उपभोक्ताओं पर लगेगा. यह टैक्स अन्य टैक्सो को हटा देगा, जो कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाये गये हैं. वस्तुओं और सेवाओं की खरीदी – बिक्री के प्रत्येक चरण पर लगने वाले इस टैक्स में ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट मेथड’ लगेगी. इस मेथड के अंतर्गत वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) के अधीन पंजीकृत व्यवसायों को टैक्स क्रेडिट क्लेम करने की सुविधा मिलेगी, जिन्होंने अपनी सामान्य व्यवसायिक गतिविधियों के दौरान यह टैक्स का भुगतान किया था. कर योग्य वस्तुओं और सेवाओं को एक – दुसरे से अलग परिभाषित नहीं किया गया हैं और इसके साथ ही कर की दर भी एक समान ही रखी गयी हैं, जो पूरी सप्लाई चैन पर लगेगी, जिसके द्वारा वह वस्तु या सेवा अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचेगी. वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर ही कर लगाने के लिए एक ही अथॉरिटी जिम्मेदार होगी. निर्यात [एक्सपोर्ट] पर शून्य दर [Zero rated] के साथ आयात पर घरेलु करों [Domestic Tax] के ही सामान टैक्स लगाया जाएगा.
वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) भारत में अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में बदलाव का एक बहुत बड़ा कदम हैं. विभिन्न केन्द्रीय करों और राज्य करों को मिलाना या समाप्त करना और इनके स्थान पर एक नये कर लगाने से दोहरे करारोपण [Double Taxation] और केस्केडिंग इफ़ेक्ट [Cascading effect] ख़त्म होगा और इसका फायदा राष्ट्रीय बाज़ार को मिलेगा. अगर एक आम आदमी के दृष्टिकोण से देखा जाये, तो उसके द्वारा चुकाए जाने वाले सभी करों की मात्रा में कमी आ जाएगी, जिनका भार वह आज लगभग 25% – 30% तक वहन करता हैं.
भारत में जी एस टी बिल के लागु होने पर यह कुछ समय के लिए शून्य दर के साथ अथवा बहुत ही कम दर के साथ लगाया जाएगा. शुरूआती चरणों में राज्यों की आय को GST के प्रभाव से दूर ही रखा जाएगा, परन्तु पेट्रोलियम और पेट्रोलियम पदार्थों पर GST Bill की दरें ही लगायी जाएंगी. मंत्री श्री जयंत सिन्हा के अनुसार : इस स्थिति में राज्यों को उनकी आय के संबंध में 5 सालों तक [या 5 सालों से कम समय तक] जो भी नुकसान होगा, उसकी भरपाई केंद्र के द्वारा राज्यों को की जाएगी.
संसदीय इतिहास और एम्पावर्ड कमिटी [History in Parliament & Empowered Committee]-:
केन्द्रीय बजट 2006 – 2007 के दौरान 28 फरवरी, 2006 को केन्द्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा घोषणा की गयी कि GST Bill 1 अप्रैल, 2010 को रखा जाएगा और इसके निर्माण में राज्य वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी भी केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करेगी.
इस घोषणा के बाद राज्य वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी ने 10 मई, 2007 को इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु जॉइंट वर्किंग ग्रुप बनाने का निश्चय किया.
इस जॉइंट वर्किंग ग्रुप के संगठन के बाद विभिन्न वित्त विशेषज्ञों, आदि से चर्चाओं और बातचीत के बाद 19 नवम्बर, 2007 को अपनी रिपोर्ट एम्पावर्ड कमिटी के सामने प्रस्तुत की.
27 नवम्बर, 2007 को एम्पावर्ड कमिटी के समक्ष रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा और इसके अनुरूप कुछ बदलावों के साथ फाइनल रिपोर्ट तैयार.
30 अप्रैल, 2008 को यह फाइनल रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी गयी.
12 दिसम्बर, 2008 को भारत सरकार द्वारा इस पर अपने कमेंट दिए गये.
16 दिसम्बर, 2008 को एम्पावर्ड कमिटी ने इन कमेंट्स को स्वीकार किया गया.
वैधानिक इतिहास [Legislative History]-:
सन 2000 में वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में राज्य वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी बनायीं गयी. अटल बिहारी बाजपेयी के जीवन के बारे में यहाँ पढ़ें| इसे बनाने का उद्देश्य वर्तमान टैक्सो को हटाकर नये वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) को लाने के लिए मॉडल बनाना था. यह एम्पावर्ड कमिटी पश्चिम बंगाल के वित्त और एक्साइज मंत्री असीम दासगुप्ता के प्रतिनिधित्व में काम कर रही थी.
जी एस टी बिल में शामिल मुख्य बातें [Salient features of Goods & Service Tax Bill]-:
इस बिल के अंतर्गत GST Bill के दो भाग होंगे, जिनके नाम और संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार हैं -:
केंद्र द्वारा लगाया जाने वाला -: केन्द्रीय जी एस टी,
राज्य द्वारा लगाया जाने वाला -: प्रांतीय जी एस टी.
दोनों GSTs की कर की दरें क्या होंगी, इसे निर्धारित किया जाएगा, जो कि इनकी आय [Revenue] और स्वीकार्यता [Acceptability] को ध्यान में रखकर तय की जाएगी. यह दोहरा मॉडल [Dual GST Model] विभिन्न प्रान्तों में लागु किया जाएगा.
साथ ही कर लगाने के नियम [Tax Provosions], कर योग्य आय [Taxable Income], कर योग्य व्यक्ति [Assessee] और कर की परिभाषाएं [Defination of Tax] सभी प्
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