एक चित्र और एक लिखित पाठ को चुनकर किन्हीं दो स्रोतों की पड़ताल कीजिए और इस बारे में चर्चा कीजिए कि उनसे विजेताओं और पराजितों के दृष्टिकोण के बारे में क्या पता चलता है?
Answers
इस पाठ के अध्ययन में यदि हम दिए गए चित्र और एक लिखित पाठ का चुनाव करके उन दोनों का परीक्षण करते हैं तो उसे हमें ज्ञात होता है कि सैनिक विद्रोह के विषय में विजेता पक्ष यानि अंग्रेजों और पराजित पक्ष अर्थात भारतीयों के दृष्टिकोण में भिन्नता थी।
पहला उदाहरण लेते हैं, यदि हम इस पाठ के चित्र नंबर 11.18 का निरीक्षण करें तो हम पाते हैं कि अंग्रेजों ने जिस संघर्ष को सैनिक विद्रोह का नाम दिया वह वास्तव में भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था और इस स्वतंत्रता संग्राम का उद्देश्य अंग्रेजों के प्रभाव से देश को मुक्त कर अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकना था।
जहां झांसी में इस विद्रोह का नेतृत्व रानी लक्ष्मीबाई ने किया और रानी लक्ष्मीबाई वीरता का प्रतीक बन गई। वहां पर अनेक महिलाओं ने पुरुषों की तरह लड़ाई अस्त्र-शस्त्र से वीरतापूर्वक अंग्रेजी सैनिकों का मुकाबला किया था और रानी लक्ष्मीबाई स्वयं वीरता पूर्वक अंग्रेजों से लड़ीं और अंत में अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दे दी। रानी लक्ष्मीबाई का यह बलिदान आने वाले समय में एक सबके लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया। जहां चित्रों में रानी की लक्ष्मीबाई की वीरता की साकार प्रतिमा के रूप में चित्रित किया गया है। उनके सम्मान में उनकी वीरता के सम्मान में अनेक तरह की कविताओं की रचना की गई। रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के प्रति वीरता और प्रतिरोध का प्रतीक बन गई थीं।
पाठ्य पुस्तक में दिए गए दूसरे का अध्ययन करें तो पाठ में एक पंक्ति है, ‘अवध के लोग उत्तर से जोड़ने वाली संचार लाइन पर जोर बना रहे हैं’ यहां अवध के लोग ग्रामीण लोग हैं, वे अंग्रेजों की पकड़ से बाहर हैं। अधिकारी लोगों का कहना है कि गांव वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। उनके पास बंदूकें काफी मात्रा में हैं।
इन पंक्तियों से पता चलता है कि अवध में विद्रोह स्तर बहुत व्यापक था और यह विद्रोह अंग्रेजों के प्रति जनसामान्य का विद्रोह बन गया था। इस क्षेत्र में ब्रिटिश शासन के कारण शासक, तालुकादार, जमींदार, किसान, सिपाही और अन्य सभी सामान्य जन समान रूप से प्रभावित हुए थे। इसलिए सब के मन में अंग्रेजों के प्रति आक्रोश एवं असंतोष का भाव समान रूप से था। इसलिए अंग्रेजों के प्रति विद्रोह में सब एकजुट होकर संघर्षरत हो गए। हालांकि सभी के अपने-अपने हित थे लेकिन उनका उद्देश्य एक ही था।
1857 का विद्रोह भारत सभी भारतीयों की भावनाओं, परंपराओं, निष्ठा और प्रतिरोध की अभिव्यक्ति का प्रतीक बन गया था।
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
“विद्रोही और राज” पाठ के अन्य प्रश्नों के लिये नीचे दियें लिंक्स पर जायें....
बहुत सारे स्थानों पर विद्रोही सिपाहियों ने नेतृत्व सँभालने के लिए पुराने शासकों से क्या आग्रह किया?
https://brainly.in/question/15469129
उन साक्ष्यों के बारे में चर्चा कीजिए जिनसे पता चलता है कि विद्रोही योजनाबद्ध और समन्वित ढंग से काम कर रहे थे?
https://brainly.in/question/15469148
1857 के घटनाक्रम को निर्धारित करने में धार्मिक विश्वास की किस हद तक भूमिका थी?
https://brainly.in/question/15469132
विद्रोहियों के बीच एकता स्थापित करने के लिए क्या तरीके अपनाए गए?
https://brainly.in/question/15469130
अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने के लिए क्या कदम उठाए?
https://brainly.in/question/15469151
अवध में विद्रोह इतना व्यापक क्यों था? किसान, ताल्लुकदार और ज़मींदार उसमें क्यों शामिल हुए?
https://brainly.in/question/15469135
विद्रोही क्या चाहते थे? विभिन्न सामाजिक समूहों की दृष्टि में कितना फ़र्क था?
https://brainly.in/question/15469131
1857 के विद्रोह के बारे में चित्रों से क्या पता चलता है? इतिहासकार इन चित्रों का किस तरह विश्लेषण करते हैं?
https://brainly.in/question/15469155
Explanation:
इस पाठ के अध्ययन में यदि हम दिए गए चित्र और एक लिखित पाठ का चुनाव करके उन दोनों का परीक्षण करते हैं तो उसे हमें ज्ञात होता है कि सैनिक विद्रोह के विषय में विजेता पक्ष यानि अंग्रेजों और पराजित पक्ष अर्थात भारतीयों के दृष्टिकोण में भिन्नता थी।
पहला उदाहरण लेते हैं, यदि हम इस पाठ के चित्र नंबर 11.18 का निरीक्षण करें तो हम पाते हैं कि अंग्रेजों ने जिस संघर्ष को सैनिक विद्रोह का नाम दिया वह वास्तव में भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था और इस स्वतंत्रता संग्राम का उद्देश्य अंग्रेजों के प्रभाव से देश को मुक्त कर अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकना था।
जहां झांसी में इस विद्रोह का नेतृत्व रानी लक्ष्मीबाई ने किया और रानी लक्ष्मीबाई वीरता का प्रतीक बन गई। वहां पर अनेक महिलाओं ने पुरुषों की तरह लड़ाई अस्त्र-शस्त्र से वीरतापूर्वक अंग्रेजी सैनिकों का मुकाबला किया था और रानी लक्ष्मीबाई स्वयं वीरता पूर्वक अंग्रेजों से लड़ीं और अंत में अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दे दी। रानी लक्ष्मीबाई का यह बलिदान आने वाले समय में एक सबके लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया। जहां चित्रों में रानी की लक्ष्मीबाई की वीरता की साकार प्रतिमा के रूप में चित्रित किया गया है। उनके सम्मान में उनकी वीरता के सम्मान में अनेक तरह की कविताओं की रचना की गई। रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के प्रति वीरता और प्रतिरोध का प्रतीक बन गई थीं।
पाठ्य पुस्तक में दिए गए दूसरे का अध्ययन करें तो पाठ में एक पंक्ति है, ‘अवध के लोग उत्तर से जोड़ने वाली संचार लाइन पर जोर बना रहे हैं’ यहां अवध के लोग ग्रामीण लोग हैं, वे अंग्रेजों की पकड़ से बाहर हैं। अधिकारी लोगों का कहना है कि गांव वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। उनके पास बंदूकें काफी मात्रा में हैं।
इन पंक्तियों से पता चलता है कि अवध में विद्रोह स्तर बहुत व्यापक था और यह विद्रोह अंग्रेजों के प्रति जनसामान्य का विद्रोह बन गया था। इस क्षेत्र में ब्रिटिश शासन के कारण शासक, तालुकादार, जमींदार, किसान, सिपाही और अन्य सभी सामान्य जन समान रूप से प्रभावित हुए थे। इसलिए सब के मन में अंग्रेजों के प्रति आक्रोश एवं असंतोष का भाव समान रूप से था। इसलिए अंग्रेजों के प्रति विद्रोह में सब एकजुट होकर संघर्षरत हो गए। हालांकि सभी के अपने-अपने हित थे लेकिन उनका उद्देश्य एक ही था।
1857 का विद्रोह भारत सभी भारतीयों की भावनाओं, परंपराओं, निष्ठा और प्रतिरोध की अभिव्यक्ति का प्रतीक बन गया था।
▬▬