Essay on According to me, the greatest contribution of Sh. Bankim Chandra Chattopadhyay (Chatterjee) was… in Hindi
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श्री बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (चटर्जी)
भूमिका
भारत की इस महान धरा पर अनेक पूण्य व महान आत्माओं ने जन लिया I उनमे से एक थे भारतीय राष्ट्रगीत के लेखक श्री बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (चटर्जी) जी महाराज I स्वतन्त्रता क्रांति के प्रमिख कार्यकर्ता, साहित्यकार, इनका जन्म 1838 में कोलकता के नजदीक कांटालपाडा गाव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था I उनके पिता का नाम यादवचन्द्र चट्टोपाध्याय था तथा वो मेदिनापुर में डिप्टी कलेक्टर थे I
शिक्षा
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की प्रारम्भिक शिक्षा कांटालपाडा गाव में ही हुई I उनकी विशेष रूचि संस्कृत विषय में थी I वो पढाई के साथ-साथ खेल कूद में भी विशेष रूचि रखते थे I वे एक बहुत ही मेहनती छात्र थे I प्रेसीडेंसी कालेज से बी.ए. की उपाधि लेने वाले प्रथम भारतीय थे I
स्वदेशप्रेम
जब देश अंग्रेजों के अधीन था, गुलामी की जंजीरों से पस्त हो चिका था, भारत के गीत वंदेमातरम् को लिखा I इस गीत ने पूरे देश में हलचल मचा दी I मानो बूढ़े भारत में फिर से नई जवानी आ गई हो I सभी एक जुट होकर स्वतंत्रता के लिए खड़े हो गए I
साहित्यकार
बंकिम में एक साहित्यकार के गुण बचपन से ही थे I उन्होंने कुछ कविताएं लिख कर साहित्य जगत में प्रवेश किया I जब उन्होंने “दुर्गेश नंदिनी” उपन्यास लिखा तब उनकी उम्र 27 वर्ष थी Iइस उपन्यास से वे साहित्य के क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गए I उनकी प्रसिद्ध कृति “आंनदमठ” है I उन्होंने अंतिम उपन्यास “सीताराम” सन 1886 में लिखा था I
उपसंहार
बंकिमचन्द्र एक राष्ट्रभक्त, समाजसेवी, साहित्यकार तथा गुलामी के दलदल में फंसे भारतीयों के प्रेरणा स्त्रोत थे Iभारत की सम्पूर्ण पीढ़ी आपके अविस्मर्णीय योगदान को हमेशा याद रखेगा I
भारत की इस महान भूमि पे अनेक महान पुरुषों ने जन्म लिया व इस मिट्टी में मिल गए। हिन्दी साहित्यो में भी भारत के लोगों ने अपना योगदान दिया। ऐसे ही एक महान साहित्यकार हुए है जिनका नाम बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय (चटर्जी) था।
जीवन:-
बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म 27 जुने सन 1838 में NAIHATI,बंगाल में हुआ था। इनके पिताजी का नाम यादव चन्द्र चट्टोपाध्याय था और इनकी माताजी का नाम दुर्गाबेदि चट्टोपाध्याय था। बंकिम के 2 भाई और थे। बंकिम बंगला के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है।उनकी शिक्षा हुगली कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई।1857 में उन्होंने बीए पास किया और 1869 में क़ानून की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होने सरकारी नौकरी कर ली और 1891 में सरकारी सेवा से रिटायर हुए।1894 में उनका निधन हो गया।
भूमिका:-
बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। इसकी रचना अंग्रेजी में की गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' मार्च १८६५ में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है। उनकी अगली रचना का नाम कपालकुंडला (1866) है। इसे उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है।
भारत के प्रति प्रेम:-उन्हें भारत से बहुत प्यार था और वे अनेक क्रांतिकारी गीत व लेख लिखा करते थे जिससे भारत वासियो के प्रति देश-प्रेम जागरूक हो और वे आगे बढ़े और अंग्रेजो को भार निकल दे।
भारत की सम्पूर्ण पीढ़ी इनके अविस्मर्णीय योगदान को हमेशा याद रखेगा I
उपन्यास
1-दुर्गेशनन्दिनी
2-कपालकुण्डला
3-मृणालिनी
4-बिषबृक्ष
5-इन्दिरा
6-युगलाङ्गुरीय
7-चन्द्रशेखर
8-राधारानी
9-रजनी
10-कृष्णकान्तेर