Essay on My tribute to Sh. Bankim Chandra Chattopadhyay in Hindi
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श्री बंकिमचन्द्र जी .....को मेरी श्रद्धांजलि
बंकिम चंद्र चाटर्जि या चट्टोपाध्याय भारत के महान कलाकारों में गिने जाते हैं। बंकिमजी बंगाल के रत्नों में अग्रगण्य कहलाते है। इनकी प्राथमिक शिक्षा बंगाल मे हुई। अध्ययन काल में ही इनकी संस्कृत में बहुत रुचि थी।
बंकिमजी एक वरिष्ठ कवि, उपन्यासकार के रुप मे चर्चित थे। आपकी पहली रचना अंग्रेज़ी भाषा में थी जिसे अपेक्षित मान्यता नही मिली। फलस्वरुप इन्होने बंगला भाषा को अपनाया। बंगाली भाषा में रचित इनकी कृतियों को पूरे विश्व में सराहा गया। इनके द्वारा लिखी गई सुप्रसिद्ध रचना "आनन्द मठ" के गीत ‘वन्दे मातरम’ को ही गुरुवर टागोर ने सुर में सजाकर राष्ट्र गीत की उपाधि से अलंकृत किया।
बंकिम चंद्र जी ने सर्कारी उद्योग में रहकर ही अंग्रेज के विरोध में अपनी कलम उठाई। ये उच्च कोटि के कलाकार माने जाते हैं। ये उन महान लेखकों में गिने जाते हैं जिनके काव्य सभी भाषाओं में अनूदित हैं।और पाठक गण इनका स्वाद बड़ी चाव से लेते हैं।
कहा जाता है कि बंकिम जी हास्य रस के भी उपासक थे। एक बार श्री राम कृष्ण परमहंस जी ने बंकिमजी के नाम पर उपहास करते पूछा कि 'बं किम' नाम के अनुसार वे क्यों झुक गये। इस पर मुस्कराते हुए बंकिमजी ने कहा कि अंग्रेजों की लात से मार खाकर वे झुक गये है। हम भारतवासियों को एसे महानुभावों पर गर्व है जिन्होंने हमारे धर्म हमारी सभ्यता को अमर किया।
भारत की इस महान भूमि पे अनेक महान पुरुषों ने जन्म लिया व इस मिट्टी में मिल गए। हिन्दी साहित्यो में भी भारत के लोगों ने अपना योगदान दिया। ऐसे ही एक महान साहित्यकार हुए है जिनका नाम बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय (चटर्जी) था।
जीवन:-
बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म 27 जुने सन 1838 में NAIHATI,बंगाल में हुआ था। इनके पिताजी का नाम यादव चन्द्र चट्टोपाध्याय था और इनकी माताजी का नाम दुर्गाबेदि चट्टोपाध्याय था। बंकिम के 2 भाई और थे। बंकिम बंगला के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है।उनकी शिक्षा हुगली कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई।1857 में उन्होंने बीए पास किया और 1869 में क़ानून की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होने सरकारी नौकरी कर ली और 1891 में सरकारी सेवा से रिटायर हुए।1894 में उनका निधन हो गया।
भूमिका:-
बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। इसकी रचना अंग्रेजी में की गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' मार्च १८६५ में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है। उनकी अगली रचना का नाम कपालकुंडला (1866) है। इसे उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है।
भारत के प्रति प्रेम:-उन्हें भारत से बहुत प्यार था और वे अनेक क्रांतिकारी गीत व लेख लिखा करते थे जिससे भारत वासियो के प्रति देश-प्रेम जागरूक हो और वे आगे बढ़े और अंग्रेजो को भार निकल दे।
भारत की सम्पूर्ण पीढ़ी इनके अविस्मर्णीय योगदान को हमेशा याद रखेगा I
उपन्यास
1-दुर्गेशनन्दिनी
2-कपालकुण्डला
3-मृणालिनी
4-बिषबृक्ष
5-इन्दिरा
6-युगलाङ्गुरीय
7-चन्द्रशेखर
8-राधारानी
9-रजनी
10-कृष्णकान्तेर