Essay on बिन मांगे मिल मोती मांग मिल न भीख
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Sry I don't no hindi!!!!
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यों बैठे तुम निठठ्ले नहीं है कोई काम धाम कर्म की महिमा को समझो कर्म सुख की खान मूढ़ बैठा चौखट प्रभु के मांगे है दिन रात कर्मयोगी बन कोई करता है पुरुषार्थ कहा कृष्ण ने अर्जुन से ध्येय तुम्हारा है करना कर्म फल की इच्छा त्याग अर्पित कर सब कर्म प्रभु को रख ह्रदय में आस फलित होंगे कर्म तुम्हारे रख खुद पे विश्वास आस कह रही श्वास से धीरज रखना सीख बिन माँगे मोती मिले माँगे मिले न भीख रेखा जोशी
I hope it will help you :-)
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