Hindi, asked by sujyo, 1 year ago

ESSAY ON CROW IN HINDI 200 TO 350 WORDS


GracySingh: on crow, you can find on Google
sujyo: THANKS FOR UR SUGGESTION
sujyo: BUT NO THANKS

Answers

Answered by Sanskriti101199
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heya friend!!
here's your answer!!!
कौवा दुनिया की हर जगह पाया जाने वाला पक्षी है। कौआ का रंग काला होता है। आकाश में उड़ने वाले पक्षियों में कौवे को सबसे बुद्धिमान माना जाता है। श्राद्ध के महीने में कौवों की पूजा की जाती है। घर की छत पर अगर कौवा बोलने लगे तो किसी मेहमान के आने का संदेश माना जाता है। कौए कांउ -कांउ की आवाज़ से सबको प्रभावित करता है।

नर कौवा और मादा कौवा दोनों मिलकर अपने बच्चों को पालते हैं। इसी तरह जब मादा कौवा अंडे देती है तो नर कौवा उसकी देखभाल करता है। भारत में कौए की छे प्रजातियां पायी जाती हैं। ऐसा माना जाता है के कौवा को भविष्य में होने वाली घटनाओं का पहले ही पता चल जाता है। कौए ज्यादातर झुंडों और पेड़ों पर रहना पसंद करते हैं। जंगली कौवे की चोंच मोटी होती है। कौए की ज्यादातर उम्र 20 वर्ष तक होती है। पुराने समयों में तो कौवे गाँवों में बच्चों की थाली में से रोटी उठाकर ले जाते थे।

भारत के बहुत सारी जगहों पर अब कौवा दिखना बंद हो गया है इसका सीधा कारण बिगड़ रहा वातावरण इसका मुख्य कारण है।

hope this helps you!!☺
Answered by Anonymous
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नमस्कार

भारतीय संस्कृति में पशु-पक्षियों का विशेष महत्त्व है । कुछ पक्षी तो ऐसे हैं । जिनका सम्बन्ध भगवान के विभिन्न अवतारों से है । उल्लू लक्ष्मी का वाहन है । चूहा गणेश जी की सवारी है। कृष्ण मोर का पंख सदैव शीश पर धारण करते हैं । कृष्ण के हाथों में मक्खन रोटी छीन कर ले जाने का वर्णन रसखान ने इस प्रकार किया है-

काग के भाग बड़े सजनी, हरि हाथ सों लै गयो माखन रोटी

इसी प्रकार काग भुशुंडि-प्रकरण और जटायु-प्रकरण राम कथा के अभिन्न अंग है । वनवास की अवधि पूरी होने पर माता कौशल्या राम लक्ष्मण सीता की सुधि काग से ही पूंछती है:

बैठी सगुन मनावति माता कब अइ हैं मेरे लाल कुशल घर कहहु कुरि बाता ।

शुभ संदेश देने पर कौए की चोंच सोने से मंढवाने का वर्णन भी साहित्य में मिलता है।। कौआ एक ऐसा पक्षी है जिसे शायद कोई भी पालना पसन्द नहीं करता । यह गहरे काले रंग का होता है । जगंली कौए की चोंच मोटी होती है । यह कौआ भारत में लगभग हर जगह पाया जाता । वह काँउ-काँउ की कर्कश आवाज में बोलता है ।

भारत में एक केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में 27 टापुओं पर कौआ और कुत्ते नहीं पाए जाते । वहाँ पर एक कथा प्रचलित है कि एक बार एक साधु तपस्या में लीन था । कौओं का एक झुण्ड वहां से गुजरा जिसमें से एक कौए की बीट उनके ऊपर गिर गई । तपस्वी ने उन्हें शाप दे दिया । तब से वहां पर कौए नहीं पाए जाते ।

जंगल में कौआ मरे हुए जानवरों का मांस खाता है । गांव में तो कौआ थाली में से रोटी तक उठा कर ले जाता है । कौआ बहुत धूर्त पक्षी है परन्तु मूढ़ भी । जब वह अपने घोंसले में अण्डे देता है तो कोयल अपने अणडों को उसके घोंसले में रख देती है और कौए के अण्डे गिरा देती है । कोयल के अण्डे का आकार और रंग कौए के अण्डे जैसे होते हैं ।

कौआ तो बेचारा उसे अपने बच्चे समझकर उन अण्डों को सेता है । बच्चे जब कुछ बड़े हो जाते हैं तो उड़कर अपनी बिरादरी वालों में मिल जाते हैं और कौआ बेचारा हाथ मलता रह जाता है । यदि व्यक्ति दु:खी हो और उसे कौआ दिखाई दे तो यह लक्षण शुभ माना जाता है ।

सिर पर कौए का बैठना मृत्यु का संकेत है लेकिन शास्त्रों में इसका उपाय भी है । कौआ यदि सिर पर बैठ जाए तो उसके तुरन्त बाद रो-पीट लेना चाहिए इससे मृत्यु टल जाती है । घर की मुंडेर पर कौआ काँउ-काँउ करे तो मेहमान के आने का संदेश देता है ।

कौए के पीछे यदि कोई दुश्मन पड़ जाए तो वह जोर-जोर से चिल्लाता है । तब अन्य कौए भी वहां पर इकट्‌ठे हो जाते हैं और ठोंग मार-मारकर दुश्मन को वहां से भगा देते हैं । कौए प्राय: झुण्डों में और पेड़ों पर रहते हैं । कौआ अपनी कर्कश वाणी के कारण यद्यपि अप्रिय है तथापि श्राद्ध के दिनों में लोग बड़े सम्मान से उसे बुलाते हैं:

आदर दै दे बोलियत, बलि वा की वेर ।

उम्मीद है कि यह आपकी मदद करेगा




Anonymous: sab search engine google ka kamal h.
Anonymous: ARE SACH BATANE KA JAMANA NHI RAHA
Anonymous: COPY PASTE NHI KIYA
Anonymous: thanx for mark as brainliest
sujyo: u r welcome
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