essay on sardar vallabhai patel in hindi
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सरदार वल्लभभाई पटेल' का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को भारत के गुजरात राज्य मेँ हुआ था। इनका पूरा नाम 'सरदार वल्लभभाई झवेरभाई पटेल' था। इनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल था, जो एक कृषक थे। इनकी माता का नाम लाड़ बाईं था, जो एक सामान्य गृहिणी थीं ।
सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रारंभिक शिक्षा मुख्यतः घर पर हुई। बाद मेँ, लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। सरदार पटेल बचपन से ही बहुत मेहनती स्वभाव के थे। वह कृषि कार्य में अपने पिता का हाथ बंटाते तथा अतिरिक्त समय मेँ पढाई करते थे।
सरदार वल्लभभाई पटेल, भारत के प्रसिद्ध स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थे। उन्होंने देश को आज़ाद कराने के लिये आन्दोलन मेँ बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। गांधी जी को सरदार पटेल की क्षमता पर पूर्ण विश्वास था और वे पटेल जी की सलाह लिए बिना कोई काम नहीं करते थे। 15 अगस्त 1947 को भारत के आज़ाद होने के पश्चात सरदार पटेल भारत के पहले गृहमंत्री एवं उप प्रधानमंत्री बने।
सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम मे महत्वपूर्ण योगदान दिया । इनको 'लौह पुरुष' की उपाधि भी मिली। 15 दिसंबर, 1950 को 75 वर्ष की आयु में इनका देहांत हो गया। अपने महान कार्यों और अखण्ड भारत के निर्माण के लिए सरदार पटेल का नाम सदैव याद किया जायेगा।
सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रारंभिक शिक्षा मुख्यतः घर पर हुई। बाद मेँ, लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। सरदार पटेल बचपन से ही बहुत मेहनती स्वभाव के थे। वह कृषि कार्य में अपने पिता का हाथ बंटाते तथा अतिरिक्त समय मेँ पढाई करते थे।
सरदार वल्लभभाई पटेल, भारत के प्रसिद्ध स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थे। उन्होंने देश को आज़ाद कराने के लिये आन्दोलन मेँ बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। गांधी जी को सरदार पटेल की क्षमता पर पूर्ण विश्वास था और वे पटेल जी की सलाह लिए बिना कोई काम नहीं करते थे। 15 अगस्त 1947 को भारत के आज़ाद होने के पश्चात सरदार पटेल भारत के पहले गृहमंत्री एवं उप प्रधानमंत्री बने।
सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम मे महत्वपूर्ण योगदान दिया । इनको 'लौह पुरुष' की उपाधि भी मिली। 15 दिसंबर, 1950 को 75 वर्ष की आयु में इनका देहांत हो गया। अपने महान कार्यों और अखण्ड भारत के निर्माण के लिए सरदार पटेल का नाम सदैव याद किया जायेगा।
varshakaturu:
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⭐ SARDAR VALLABHBHAI PATEL :
✨जन्म: 31 अक्टूबर 1875
✨जन्म स्थान: नाडियाड शहर, गुजरात
✨माता-पिता: पिता झवेरभाई, एक किसान, और माँ लाड बाई, एक साधारण महिला
✨पत्नी: Jhaberaba, जो एक बहुत ही कम उम्र में निधन हो गया
✨बच्चे: बेटी Maniben (1904 में) का जन्म; बेटा दहयाभाई (1905 में) का जन्म
✨मौत: दिसम्बर 15, 1950
✨सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। सरदार पटेल एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आजार भारत के पहले गृहमंत्री थे। स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान था, जिसके कारण उन्हें भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है।
_________````````````⭐⭐⭐⭐
✨सरदार पटेल नाम यूं पड़ा : सरदार पटेल को सरदार नाम, बारडोली सत्याग्रह के बाद मिला, जब बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए उन्हें पह ले बारडोली का सरदार कहा गया। बाद में सरदार उनके नाम के साथ ही जुड़ गया।
_____________```````````✌✌✌✌✌
✨आजादी की लड़ाई में सरदार पटेल की धावा महात्मा गांधी, जो वह गोधरा में एक बैठक के दौरान मुलाकात से प्रेरित था। वे तब से दोस्त बन गए और पटेल, गांधीजी की गतिविधियों के बाद शुरू कर दिया विशेष रूप से चंपारण सत्याग्रह में उनकी सफलता।
सरदार के लिए निर्णायक क्षण 1918 में जब आया था, खेड़ा बाढ़ और बाढ़ से तबाह हो गया था।
__________```````````✌✌✌✌
#HAPPY HARYANA DAY ✌✌⭐
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✨✨
#NO.1 HARYANVI ♠♠
#LOVE YOU MAA BĀPPŪ ♥
⭐ SARDAR VALLABHBHAI PATEL :
✨जन्म: 31 अक्टूबर 1875
✨जन्म स्थान: नाडियाड शहर, गुजरात
✨माता-पिता: पिता झवेरभाई, एक किसान, और माँ लाड बाई, एक साधारण महिला
✨पत्नी: Jhaberaba, जो एक बहुत ही कम उम्र में निधन हो गया
✨बच्चे: बेटी Maniben (1904 में) का जन्म; बेटा दहयाभाई (1905 में) का जन्म
✨मौत: दिसम्बर 15, 1950
✨सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। सरदार पटेल एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आजार भारत के पहले गृहमंत्री थे। स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान था, जिसके कारण उन्हें भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है।
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✨सरदार पटेल नाम यूं पड़ा : सरदार पटेल को सरदार नाम, बारडोली सत्याग्रह के बाद मिला, जब बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए उन्हें पह ले बारडोली का सरदार कहा गया। बाद में सरदार उनके नाम के साथ ही जुड़ गया।
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✨आजादी की लड़ाई में सरदार पटेल की धावा महात्मा गांधी, जो वह गोधरा में एक बैठक के दौरान मुलाकात से प्रेरित था। वे तब से दोस्त बन गए और पटेल, गांधीजी की गतिविधियों के बाद शुरू कर दिया विशेष रूप से चंपारण सत्याग्रह में उनकी सफलता।
सरदार के लिए निर्णायक क्षण 1918 में जब आया था, खेड़ा बाढ़ और बाढ़ से तबाह हो गया था।
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#HAPPY HARYANA DAY ✌✌⭐
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