Essay on Sh. Bankim Chandra Chattopadhyay (Chatterjee): the literary genius in Hindi
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श्री बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (चटर्जी): साहित्यिक प्रतिभा
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय एक प्रसिद्ध बंगाली कवि, लेखक व पत्रकार थे। भारत का राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम' उनकी मशहूर रचना 'आनंदमठ' से लिया गया है। वे एक उच्च स्तर के लेखक थे। ईश्वरचन्द्र गुप्ता उनके लिए एक आदर्श लेखक थे। उन्होंने अपनी साहित्यिक यात्रा छंद लिखकर आरंभ करी। उनकी प्राथमिक कृतियाँ ईश्वरचन्द्र गुप्ता जी के साप्ताहिक समाचारपत्र, 'संग्बाद प्रभाकर' में प्रकाशित करी जाती थीं।
'राजमोहन्स वाइफ' (Rajmohan's Wife) अंग्रेजी में उनका पहला उपन्यास था। उसके बाद उन्होंने 1865 में, बंगाली में 'दुर्गेशनोंदिनी', एक प्रेम कहानी लिखी। 'कपलकुंदला' उपन्यास ने उन्हें एक लेखक की भूमिका में स्थापित कर दिया। 1869 में उन्होंने 'मृणालिनी', इतिहासिक पृष्टभूमि में स्थित एक उपन्यास की रचना करी।
तत्पश्चात उन्होंने एक मासिक पत्रिका, 'बंगदर्शन' आरंभ करी। वह चार वर्षों तक कार्यरत रही। 1877 में प्रकाशित 'चंद्रशेखर' उनकी एक भिन्न शैली की रचना थी। उसी वर्ष में प्रकाशित 'रजनी' काफी कुछ उनकी जीवनी के समान थी।
1882 में उन्होंने आनंदमठ लिखा, जो एक राजनैतिक उपन्यास था। अंग्रेज़ सरकार के विरुद्ध भारतीय आन्दोलन उसका मूल विषय था। बाद में वह पुस्तक हमारे राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम का स्रोत बनी।
'लोक रहस्य', 'बिचित्र प्रबंध', 'देवी चौधरानी', 'कमलाकांता', 'सीताराम', 'मुचिराम गुरेर जीवनचरिता', 'कृष्ण चरित्र', 'धर्मतत्त्व', आदि उनकी कुछ अन्य रचनायें हैं।
चट्टोपाध्याय जी की हास्यपूर्ण कृतियाँ अत्यंत लोकप्रिय हैं। 'कमलाकान्तेर दप्तर' में एक अफीम व्यसनी के द्वारा उन्होंने व्यंग्य पेश करा है व राजनैतिक सूचनायें दी हैं।
उन्होंने धार्मिक ग्रंथों पर व्याख्या भी लिखी। गीता के पाठ 4 के 19 छंद तक उन्होंने व्याख्या लिखी है। उनको विश्वास था कि हिन्दू धर्म के सुधार, नवीनीकरण और शुद्धीकरण से ही भारत का विकास संभव है। उन्होंने खास तौर से दो छंदों, 2.12 व 2.13 पर विस्तृत व्याख्या करी। उनमें आत्मा के अमरत्व और उसके पुनर्जन्म के बारे में बताया गया है।
परमाथनाथ बिशी जैसे आलोचक चट्टोपाध्याय जी को बंगला साहित्य का सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकार मानते हैं। संसार में उनके समान दर्शन और कला दोनों में निपुण लेखक बहुत कम हैं। विदेशी शासन में रहने वाले वे एक ऐसे लेखक थे जिसने सभी पहलुओं को उजागर करा। उनका साहित्य में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। जिसमें प्रेम, देश प्रेम, हास्य, व्यंग्य, राजनीति, धर्म और दर्शन जैसे विभिन्न विषय सम्मिलित हैं। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय एक कलाकार और दार्शनिक लेखक थे। उनका नाम भारत व बंगला साहित्य में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।
भारत की इस महान भूमि पे अनेक महान पुरुषों ने जन्म लिया व इस मिट्टी में मिल गए। हिन्दी साहित्यो में भी भारत के लोगों ने अपना योगदान दिया। ऐसे ही एक महान साहित्यकार हुए है जिनका नाम बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय (चटर्जी) था।
जीवन:-
बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म 27 जुने सन 1838 में NAIHATI,बंगाल में हुआ था। इनके पिताजी का नाम यादव चन्द्र चट्टोपाध्याय था और इनकी माताजी का नाम दुर्गाबेदि चट्टोपाध्याय था। बंकिम के 2 भाई और थे। बंकिम बंगला के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है।उनकी शिक्षा हुगली कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई।1857 में उन्होंने बीए पास किया और 1869 में क़ानून की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होने सरकारी नौकरी कर ली और 1891 में सरकारी सेवा से रिटायर हुए।1894 में उनका निधन हो गया।
भूमिका:-
बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। इसकी रचना अंग्रेजी में की गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' मार्च १८६५ में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है। उनकी अगली रचना का नाम कपालकुंडला (1866) है। इसे उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है।
भारत के प्रति प्रेम:-उन्हें भारत से बहुत प्यार था और वे अनेक क्रांतिकारी गीत व लेख लिखा करते थे जिससे भारत वासियो के प्रति देश-प्रेम जागरूक हो और वे आगे बढ़े और अंग्रेजो को भार निकल दे।
भारत की सम्पूर्ण पीढ़ी इनके अविस्मर्णीय योगदान को हमेशा याद रखेगा I
उपन्यास
1-दुर्गेशनन्दिनी
2-कपालकुण्डला
3-मृणालिनी
4-बिषबृक्ष
5-इन्दिरा
6-युगलाङ्गुरीय
7-चन्द्रशेखर
8-राधारानी
9-रजनी
10-कृष्णकान्तेर