गंगा का प्रदूषण इस विषय पर निबंध
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गंगा प्रदूषण पर निबंध- Essay on Ganga River Pollution in Hindi
देवनदी गंगा ने जहाँ जीवनदायिनी के रूप में भारत को धन-धान्य से संपन्न बनाया है वहीं गंगा माता के रूप में गंगा की पावन धारा ने देशवासियों के हृदयों में मधुरता तथा सरसता का संचार किया है। पतित पावनी गंगा के जल के प्रदूषित होने के बनियादी कारण तो यह है कि भारत के प्रायः सभी प्रमुख नगर गंगा तट पर और उसके आस-पास बसे हुए हैं। उन नगरों में आबादी का दबाव बहुत बढ़ गया है। वहाँ से मल-मूत्र और गंदे पानी की निकासी की कोई सुचारु व्यवस्था न होने के कारण -उधर बनाए गए छोटे-बड़े सभी गंदे नालों के माध्यम से बहकर वह गंगा नदी में आ मिलता है। परिणामस्वरूप कभी खराब न होने वाला गंगाजल आज बुरी तरह से प्रदूषित होकर रह गया है।वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि सदियों से आध्यात्मिक भवनाओं से अनपाणित होकर गंगा की धारा में मृतकों की अस्थियाँ एवं अवशिष्ट राख तो बहाई ही जा रही है, अनेक लावारिस और बच्चों के शव भी बहा दिए जाते हैं। इन सबने भी जल-प्रदूषण की स्थितियाँ पैदा कर दी हैं। गंगा के निवास स्थल और आसपास से वनों का निरंतर कटाव, वनस्पतियों, औषधीय तत्त्वों का विनाश भी प्रदूषण का एक बहत बड़ा कारण है।
विगत वर्षो में गंगाजल का प्रदूषण समाप्त करने के लिए एक योजना बनाई गई थी। योजना के अंतर्गत दो कार्य मख्य रूप से किए करने का प्रावधान किया गया। एक तो यह कि गंदे नालों की दिशा मोड दी जाए, या फिर उनमें जलशोधन करने वाले सयंत्र लगाकर जल को शुद्ध साफ कर गंगा में गिरने दिया जाए। दूसरा यह कि कल कारखानों में ऐसे संयंत्र लगाए जा का शोधन कर सके या उस पानी को कचरे और कहीं और भूमि के भीतर दफन कर दिया जाए। आधुनिक और वैज्ञानिक दृष्टि अपनाकर अपने ही हित में गंगाजल में शव बहाना बंद करना तथा धारा के निकास स्थल के आसपास वृक्षों,वनस्पतिया अदि का कटाव कठोरता से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। गंगा को भारत की जीवन रेखा माना जाता है। अतः गंगा की शुद्धता के लिए प्राथमिकता से प्रयास किये जाने चाहिए।