गठबंधन की राजनीति के भारतीय राजनीति पर क्या – क्या नकारात्मक प्रभाव पड़े?
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गठबंधन की राजनीति के नकारात्मक प्रभाव
- गठबंधन की राजनीति से आशय है जब दो या दो से अधिक चुनावी पार्टियां मिलकर सरकार बनाती हैं।
- आम तौर पर चुनाव होने से पहले ही वे पार्टियां अपने में विचार विमर्श कर के सीटों का बटवारा कर लेती हैं और चुनाव लड़ती हैं।
- परिणाम घोषित होने उपरांत यदि से स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर लेती हैं तो उन्हें राज्यपाल से निमंत्रण पत्र भेजा जाता है सरकार बनाने के लिए।
- यदि कोई भी पार्टी स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं करती है तो सत्ता में आने और सरकार बनाने के लिए वे गठबंधन की सरकार बनती हैं।
- इस सरकार का भारतीय राजनीति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- हर पार्टी का सिद्धांत और मौलिक विचार भिन्न होता है, इसलिए कई मसलों पर वे एक दूसरे के विरोध में होती हैं।
- यदि किसी पार्टी को उसके अनुसार लाभ नहीं मिलता है तो वे अपना समर्थन वापस ले लेती हैं , जिससे सरकार गिर जाती है।
- उस अवस्था में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ता है और फिर आम चुनाव होते हैं
- फिर से देश की आर्थिक विकास के पैसों से चुनाव होते हैं और पैसे पानी जैसे बहाए जाते हैं।
- इसका एक उदाहरण है जब अटल बिहारी वाजपेई जी की सरकार सिर्फ एक सीट , लोक जनतांत्रिक पार्टी के समर्थन वापस लेने के कारण गिर गई थी।
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