हिमालय के प्रति कविता का केंद्रीय भाव क्या है जो रामधारी सिंह दिनकर ने लिखी है
Answers
Answer:
proud of earth because is very beautiful boon of God for man.
Explanation:
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित 'हिमालय का संदेश कविता में भारत की महत्ता को उद्घाटित किया गया हैं |
कवि कहते हैं कि हमें व्यर्थ में भारत का नाम नहीं लेना चाहिए क्योंकि जो हमें मानचित्र में दिखाई देता है वही भारत देश नहीं है | भारत धरती पर नहीं बल्कि लोगों के मन में बसा हुआ है | भारत धरती को ऊपर ले जाने वाला एक स्वप्न है और स्वर्ग को धरती पर लाने वाला एक विचार हैं | भारत एक ऐसा भाव है जो मनुष्य की आंतरिक चेतना को जगाता है | यह एक ऐसा जलज है, जिस पर कोई दाग नहीं लग पाता है | भारत त्याग और उज्जवल आत्म-उदय का नाम हैं | यह मनुष्य की सबसे बड़ी विजय से उत्पन्न एक आभा है |
कभी आगे कहते हैं कि इस विश्व में जहाँ कहीं भी एकता और प्रेम है, वहीं पर भारत जीवित एवं प्रकाशमय रूप में खड़ा है | भारत की जीवन-साधना में कोई भ्रम नहीं है क्योंकि यहाँ दुनिया के सभी मत-मतांतर एकाकार हो चुके हैं |
कविता के अंत में कवि दिनकर कहते हैं कि उस भारत को प्रणाम करो जहाँ त्याग माधुर्यपूर्ण है, भोग निष्काम है एवं सबमें समानता आए ऐसी कामना है | व्यर्थ में भारत का नाम लेने की आवश्यकता नहीं हैं