हास्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए ।
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हास रस का स्थायी भाव हास होता है। किसी नाटक , वेशभूषा , वाणी आदि को देखने , सुनने से जो भाव हमारे मन में उत्पन्न होता है वाही भाव विभाव , अनुभव , संचारी भाव से पुष्ट होकर हास नामक स्थाई भाव में परिवर्तित हो जाता है , उसे हास रस कहते है । उदहारण = विंध्य के वासी उदासी , तपोवरतधारी महा बिनु नारी दुखारे , गोतमिय तरी तुलसी सो कथा सुनी भे मुनिवृद् सुखारे । है है सिला सब चंद्रमुखी परसे पद मंजुल कंज तिहरे , किन्ही भली रघुनायक जु करुणा करि कानन कौ पग धारे।
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