Social Sciences, asked by hollo2653, 9 months ago

‘हल्दीघाटी युद्ध’ पर निबंध लिखिए।

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Answered by shishir303
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हल्दीघाटी का युद्ध —

हल्दीघाटी का युद्ध मेवाड़ के राजपूत राजा महाराणा प्रताप और मुगलों की सेना के बीच युद्ध हुआ था। मुगलों की सेना का नेतृत्व मानसिंह कर रहा था और दूसरी तरफ महाराणा प्रताप की सेना थी। उस समय महाराणा प्रताप का अकबर के साथ संघर्ष चल रहा था और महाराणा प्रताप ने गोगुंदा और खमनोर की पहाड़ियों के बीच स्थित हल्दीघाटी नामक तंग  घाटी में अपना पड़ाव डाला हुआ था। इस घाटी में एक बार में एक ही आदमी प्रवेश कर सकता था। इसलिए मोर्चाबंदी के लिए यह सही स्थान था। महाराणा प्रताप के सैनिक पहाड़ों से परिचित थे और वे आसानी से यहां छिपकर आक्रमण कर सकते थे। जबकि मुगल सैनिक यहां की भौगोलिक परिस्थितियों से अनजान थे।

अंततः 18 जून 1576 को दोनों सेनाएं आमने-सामने टकराई। राजपूतों ने इतनी बहादुरी से मुकाबला किया कि मुगल सेना के सैनिक चारों ओर जान बचाकर भागने लगे। तब एक झूठी अफवाह फैला दी गई, कि अकबर पीछे से विशाल सेना लेकर आ रहा है। इससे अकबर की सेना में थोड़ा साहस हुआ और वह पुनः लड़ने के लिए आ गए।

महाराणा प्रताप की नजर मुगल सेना के सेनापति मानसिंह पर पड़ी। महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक ने स्वामी का संकेत समझकर अपने कदम उस और बढ़ाएं जिधर मानसिंह मर्दाना नामक हाथी पर बैठा हुआ था। चेतक ने अपने पैर हाथी के सिर पर टिका दिए महाराणा प्रताप ने अपने भाले का वार मान सिंह पर किया, लेकिन वह बच निकला। महाराणा प्रताप का घोड़ा और महाराणा प्रताप दोनो बुरी तरह घायल हो चुके थे।

तभी महाराणा प्रताप का एक विश्वासपात्र झाला मन्ना महाराणा प्रताप के पास पहुंचा और उन्हें सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी। महाराणा प्रताप ने वैसा ही किया। उनका स्वामी भक्त घोड़ा चेतक उन्हें किसी तरह बचा कर ले गया। लेकिन रास्ते में उसकी मृत्यु हो गई। महाराणा प्रताप तो किसी तरह बच गए और मुगल सैनिकों उन्हे पकड़ नहीं सके। इस तरह हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना की हार हुई थी। लेकिन वह किसी तरह बच निकले थे।

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