ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए...अब बूझो!' - इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है?
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उत्तर :
इस कथन के द्वारा लेखक ने उन लोगों की मानसिकता पर चोट की है जो अपनी चिंता तो करते हैं परंतु उन्हें दूसरों की कोई चिंता नहीं होती। पटना में बाढ़ आने पर सब लोग चिंतित थे तब अपने अपने बचाव में लगे हुए थे। लेकिन कुछ तमाशबीन बाढ़ का नजारा देखकर अपना मन बहला रहे थे। इसके विपरीत जब बिहार के किसी अन्य क्षेत्र में बाढ़ आती है तो उन लोगों की दयनीय दशा की कोई चिंता नहीं करता और न ही कोई वहां की दुर्दशा देखने जाता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
इस कथन के द्वारा लेखक ने उन लोगों की मानसिकता पर चोट की है जो अपनी चिंता तो करते हैं परंतु उन्हें दूसरों की कोई चिंता नहीं होती। पटना में बाढ़ आने पर सब लोग चिंतित थे तब अपने अपने बचाव में लगे हुए थे। लेकिन कुछ तमाशबीन बाढ़ का नजारा देखकर अपना मन बहला रहे थे। इसके विपरीत जब बिहार के किसी अन्य क्षेत्र में बाढ़ आती है तो उन लोगों की दयनीय दशा की कोई चिंता नहीं करता और न ही कोई वहां की दुर्दशा देखने जाता है।
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Explanation:
जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए... अब बूझो!" - इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है? उक्त कथन द्वारा लोगों में पाए जाने वाली क्षेत्रियता की भावना, स्वाभाविक कठोरता एवम् पारस्परिक द्वेषपूर्ण मानसिकता पर चोट की गई है।
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