Hindi, asked by asfd235, 1 year ago

ज्ञान का सबसे बड़ा शत्रु अज्ञानता नहीं, बल्कि ज्ञान होने का भ्रम होना है।

Answers

Answered by Anonymous
127
महाभारत में जब यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा कि यात्रा में सहायक कौन है? तो युधिष्ठिर ने उत्तर दिया 'विद्या'। परदेश में विद्या एक मित्र के समान सहायक होती है। विद्या या शिक्षा की भूमिका सिर्फ इतनी ही नहीं है। बल्कि वह तो माता के समान रक्षक और हितकारिणी होती है, पिता के समान हित कार्यों में सहायक होती है और दुख को दूर करके पत्नी के समान आनंद प्रदान करने वाली होती है।

रहीम ने तो यहां तक कहा कि ऐसा व्यक्ति जो बुद्धि व विद्या से विहीन है, धर्माचरण नहीं करता, यश के प्रति उदासीन है और दान में जिसकी रुचि नहीं, उसकी समाज में कोई उपयोगिता नहीं होती। ऐसे व्यक्ति को धरती का बोझ माना जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो ने कहा था कि अशिक्षित रहने से पैदा नहीं होना अच्छा है क्योंकि अज्ञानता ही सभी क्लेशों व विपत्तियों का मूल है।

शिक्षा द्वारा जो ज्ञान प्राप्त किया जाता है उसे विद्या कहते हैं। विद्या और ज्ञान एक अर्थ के दो पर्याय हैं। विद्या का धन सब धनों में प्रधान और श्रेष्ठ है। जो व्यक्ति पढ़ नहीं सकता है, उस व्यक्ति के जीवन में कई कमियां रह जाती हैं। अगर हम कभी यह जानने का प्रयास करें कि जो व्यक्ति पढ़ सकता है और जो नहीं पढ़ सकता अर्थात निरक्षर होता है, समाज में दोनों की स्थितियों में कितना अंतर होता है, तो हमें आसानी से शिक्षा का महत्व समझ में आ जाएगा। तब साफ पता चलेगा कि एक निरक्षर व्यक्ति जीवन की कितनी बड़ी उपलब्धियों से वंचित रह जाता है। प्रसिद्ध कवि निराला ने माना है कि संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियां हैं, शिक्षा उनमें सर्वोपरि है।

Anonymous: if u like it mark as brainliest
Anonymous: happy friendship day
asfd235: gyada bano mat
asfd235: sara sara likhi ho
Anonymous: matlab
asfd235: ajj ka bad answer mat likhna
asfd235: happy freindship day
Anonymous: kyu aap ne aisa kyu lika
Similar questions