Sahitya sagar workbook answers of do kalakar
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लौटी तो देखा तीन-चार बच्चे उसके कमरे के दरवाज़े पर खड़े उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। आते ही बोली, "आ गए, बच्चो! चलो, मैं अभी आई।"
प्रश्न--
१) कौन, कहाँ जाने वाली है और क्यों?
२) चित्रा कौन है? अरुणा ने चित्रा के बनाए चित्र को देखकर क्या कहा?
३) अरुणा का चरित्र-चित्रण कीजिए।
४) चित्रा चित्रकला से जुड़ी है और अरुणा समाज-सेवा से। क्या इस दृष्टि से अरुणा को भी कलाकार माना जा सकता है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर--
(i) अरुणा, जो दोकहानी की मुख्य पात्रा में से एक है,वह होस्टल के बाहर मैदान में गरीब चौकीदारों, नौकरों और चपरासियों के बच्चों को पढ़ाने जाने वाली थी क्योंकि वह एक समाज-सेविका है जिसका उद्देश्य निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करना है। हर तबके के लोगों चाहे वह गरीब हो या अमीर सबकी मदद करना है।
(ii) चित्रा कोई और नहीं अरुणा (प्रमुख पात्रा) की ही प्रिय मित्र है और एक अच्छी चित्रकारा है। कहानी के आरंभ में जब चित्रा ने अरुणा को नींद से जगाकर अपनी बनाई हुई पेंटिंग दिखाई तो अरुणा अचंभित होकर बोली कि वह चित्र किस ओर से देखेगी क्योंकि उसे चित्रा के द्वारा बनाया गया चित्र बिल्कुल समझ में नहीं आता था।
उसने चित्रा से यह भी कहा कि वह जब भी कोई चित्र बनाए तो उस चित्र का नाम जरूर लिख दें द ताकि यह समझने में कोई गलती न हो कि आखिर चित्र में कौन-सा जीव है।
(iii) अरुणा कहानी की प्रमुख पात्रा और चित्रा की प्रिय मित्र भी है। वह होस्टल में रहकर अपनी पढ़ाई भी करती है साथ ही साथ समाज-सेवा भी।
वह हर समय समाज-सेवा के कामों में खुदको व्यस्त रखती है। वह गरीब बच्चों को पढ़ाना अपना धर्म समझती है।
वह भावुक, दयालु, दूसरों के दुख को अपना दुख समझने वाली व्यक्ति थी जो दूसरों के लिए हमेशा पास खड़ी होती थी।
तभी तो अरुणा एक भिखारिन की मृत्यु होने पर उसके अनाथ बच्चों को अपनाकर उन्हें अपनी ममता की छाया प्रदान करती हैऔर समाज को संदेश देती है। एक नया मिशाल कायम करती है।
(iv) चित्रा एक चित्रकार है और अरुणा समाज सेविका है। अरूणा समाज के छोटे-बड़े सभी लोगों का जीवन सँवारने की हमेशा कोशिश करती है।
चित्रा मनुष्य और समाज के बाहरी रूप को कागज के पन्नों पर उतारने का कलात्मक कार्य करती है।
मेरे अनुसार अरूणा भी एक सफल कलाकार हैं। जो मनुष्य के पीढ़ा को कैनवस पर नहीं वास्तव में पास खड़े होकर महसूस करती है।
प्रश्न--
१) कौन, कहाँ जाने वाली है और क्यों?
२) चित्रा कौन है? अरुणा ने चित्रा के बनाए चित्र को देखकर क्या कहा?
३) अरुणा का चरित्र-चित्रण कीजिए।
४) चित्रा चित्रकला से जुड़ी है और अरुणा समाज-सेवा से। क्या इस दृष्टि से अरुणा को भी कलाकार माना जा सकता है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर--
(i) अरुणा, जो दोकहानी की मुख्य पात्रा में से एक है,वह होस्टल के बाहर मैदान में गरीब चौकीदारों, नौकरों और चपरासियों के बच्चों को पढ़ाने जाने वाली थी क्योंकि वह एक समाज-सेविका है जिसका उद्देश्य निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करना है। हर तबके के लोगों चाहे वह गरीब हो या अमीर सबकी मदद करना है।
(ii) चित्रा कोई और नहीं अरुणा (प्रमुख पात्रा) की ही प्रिय मित्र है और एक अच्छी चित्रकारा है। कहानी के आरंभ में जब चित्रा ने अरुणा को नींद से जगाकर अपनी बनाई हुई पेंटिंग दिखाई तो अरुणा अचंभित होकर बोली कि वह चित्र किस ओर से देखेगी क्योंकि उसे चित्रा के द्वारा बनाया गया चित्र बिल्कुल समझ में नहीं आता था।
उसने चित्रा से यह भी कहा कि वह जब भी कोई चित्र बनाए तो उस चित्र का नाम जरूर लिख दें द ताकि यह समझने में कोई गलती न हो कि आखिर चित्र में कौन-सा जीव है।
(iii) अरुणा कहानी की प्रमुख पात्रा और चित्रा की प्रिय मित्र भी है। वह होस्टल में रहकर अपनी पढ़ाई भी करती है साथ ही साथ समाज-सेवा भी।
वह हर समय समाज-सेवा के कामों में खुदको व्यस्त रखती है। वह गरीब बच्चों को पढ़ाना अपना धर्म समझती है।
वह भावुक, दयालु, दूसरों के दुख को अपना दुख समझने वाली व्यक्ति थी जो दूसरों के लिए हमेशा पास खड़ी होती थी।
तभी तो अरुणा एक भिखारिन की मृत्यु होने पर उसके अनाथ बच्चों को अपनाकर उन्हें अपनी ममता की छाया प्रदान करती हैऔर समाज को संदेश देती है। एक नया मिशाल कायम करती है।
(iv) चित्रा एक चित्रकार है और अरुणा समाज सेविका है। अरूणा समाज के छोटे-बड़े सभी लोगों का जीवन सँवारने की हमेशा कोशिश करती है।
चित्रा मनुष्य और समाज के बाहरी रूप को कागज के पन्नों पर उतारने का कलात्मक कार्य करती है।
मेरे अनुसार अरूणा भी एक सफल कलाकार हैं। जो मनुष्य के पीढ़ा को कैनवस पर नहीं वास्तव में पास खड़े होकर महसूस करती है।
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