(क) कहानी 'हरिहर काका' के आधार पर गाँव की ठाकुरबारी का विवरण प्रस्तुत करें I
(ख) स्कूल में किन - किन बातों के कारण टोपी को दुख होता था ?
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(क)
‘हरिहर काका’ कहानी के आधार पर ठाकुरबारी का विवरण...
हरिहर काका के गांव में ठाकुरबारी की स्थापना के विषय में किसी को ठीक-ठीक जानकारी नहीं थी। ठाकुरबारी की स्थापना के विषय में एक कहानी प्रचलित थी, वह यह थी कि वर्षों पहले जब गांव पूरी तरह आबाद भी नहीं हुआ था तब एक संत कहीं से आकर इसी जगह पर झोपड़ी बनाकर रहने लगे। वह सुबह शाम ठाकुर जी की पूजा करते थे। गांव के लोग जो कुछ उन्हें खाने को दे जाते, वह खा लेते और पूजा पाठ में लगे रहते। वे लोगों में धार्मिक चेतना की भावना भी जागृत किया करते थे। बाद में गांव की आबादी बढ़ती गई और लोगों ने चंदा आदि एकत्रित कर यहां पर ठाकुर जी का एक मंदिर बनवा दिया। जैसे-जैसे गांव और बसता गया आबादी बढ़ती गई वैसे-वैसे मंदिर का भी विस्तार होता गया और इस तरह यह एक विशाल ठाकुर बारी का मंदिर बन गया। लोग ठाकुर जी के मंदिर में आकर मन्नतें मांगते। उनकी मन्नत पूरी होने पर ठाकुर जी पर रुपए, आभूषण आदि चढ़ाते। यदि किसी की बहुत बड़ी मन्नत पूरी हो जाती तो वह ठाकुर जी के नाम अपने खेत का एक छोटा सा टुकड़ा लिख देता था। यह परंपरा आगे तक जारी रही। धीरे-धीरे ठाकुरबारी में लोभी प्रवृत्ति का महंतों ने अपना अधिपत्य कर लिया जो अंधविश्वासी गांव वालों की आस्था का फायदा उठाकर मौज करते थे।
(ख)
“टोपी शुक्ला” पाठ में स्कूल में टोपी शुक्ला को अनेक तरह की भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। वो कक्षा में फेल होने के कारण अध्यापकों में हंसी का पात्र बन गया था। अध्यापक लड़कों के सामने कमजोर छात्र के रूप में टोपी शुक्ला का ही उदाहरण देते थे और उसका उपहास उड़ाते थे। अध्यापकों को कक्षा में यदि कोई सवाल पूछना होता तो वह टोपी शुक्ला से पूछते ही नहीं थे, बल्कि यह कहकर उसका उपहास उड़ाते कि अगले साल पूछ लेंगे यानी उनके कहने का तात्पर्य यह था कि अगले साल भी टोपी शुक्ला इसी कक्षा में रहेगा। कक्षा में फेल होने के कारण उसका कोई नया दोस्त भी नहीं बन पाया था। उसकी कक्षा के अध्यापक भी उसकी किसी बात को महत्व नहीं देते थे। वह शर्म के कारण किसी से खुलकर बातें भी नहीं कर पाता था। एक ही कक्षा में दो बार बैठने के कारण वह हीन भावना और शर्मिंदगी का शिकार हो गया था।