आत्मत्राण' कविता में कवि की प्रार्थना से क्या संदेश मिलता है ? अपने शब्दों में लिखिए I
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“आत्मत्राण” कविता ‘रविंद्र नाथ टैगोर’ द्वारा रचित एक कविता है।
इस कविता में कवि टैगोर जी ने ईश्वर के प्रति मनुष्य का विश्वास बनाए रखने के लिए प्रेरित किया है। कवि अपनी कविता के माध्यम से यह कहता है कि हमें सदैव ईश्वर के प्रति अपना विश्वास बनाए रखना चाहिए। चाहे हमारा कितना भी कठिन समय आये और हमारे जीवन में कितनी भी विपत्तियां आए, लेकिन हमें ईश्वर के प्रति अपनी आस्था को कमजोर नहीं करना चाहिए।
अक्सर ऐसा होता है कि जरा से संकट आने पर हमारा ईश्वर के प्रति विश्वास हट जाता है और हम ईश्वर को कोसने लगते हैं। कवि के अनुसार यदि ईश्वर के प्रति हमारा विश्वास बना रहेगा तो ईश्वर से हमें स्वतः ही शक्तियां प्राप्त होंगी और हमें संकटों और विपदाओं से लड़ने की ताकत मिलेगी।
ईश्वर के प्रति विश्वास में वह शक्ति हैं जो हमें कठिन से कठिन संकट से लड़ने के लिए साहस प्रदान करती हैं, जो असंभव कार्य को भी संभव बना सकती है। इसलिए कैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो, हमें ईश्वर में आस्था बनाकर रखनी चाहिए और ईश्वर के प्रति अपने विश्वास को कमजोर नहीं पड़ने देना चाहिए। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि इन कठिनाइयों और विपत्तियों के रूप में ईश्वर हमारे साहस और विश्वास की परीक्षा ले रहा है।
Answer:
आत्मत्राण कविता में कवि की प्रार्थना से यह संदेश मिलता है कि मनुष्य के सामने कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ आएँ उसे ईश्वर पर से अपना विश्वास नहीं खोना चाहिए। उसे संसार के सभी लोगों से वंचना मिले पर प्रभु पर से उसका विश्वास डगमगाए नहीं। मानव को ईश्वर से दुखों को दूर करने की प्रार्थना नहीं अपितु उसकी प्रार्थना होनी चाहिए कि ईश्वर उसे इतनी शक्ति दे जिससे वह उन दुखों को स्वयं से दूर कर सके साथ ही मनुष्य को सकारात्मक सोच दें। मनुष्य को प्रभु से समस्त विपदाओं से लड़ने की आत्मशक्ति की प्रार्थना करनी चाहिए। समय कितना भी विषम हो, उसे केवल धैर्य के साथ स्वयं से उन स्थितियों से जूझना चाहिए और प्रभु से मात्र आत्मशक्ति की याचना होनी चाहिए। सुख के क्षण में भी ईश्वर को याद करना चाहिए। संसार द्वारा धोखा देने पर ईश्वर पर संदेह नहीं करना चाहिए।