सतर्क पंथ' और 'समर्थ भाव' से क्या अभिप्राय है ? 'मनुष्यता' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए I
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मनुष्यता कविता के आधार पर सतर्क पंथ और समर्थ भाव का अर्थ |
Explanation:
यहाँ पर सतर्क पंथ से कवि जी का यह अभिप्राय हैं की, मनुष्य को हमेशा अपने स्वार्थ के बारे में चिंता न करते हुए दूसरों के बारे में भी सोचना चाहिए | क्योंकि एक इंसान ही दूसरे इंसान के प्रति सहानुभूति, दया और परोपकार का ही भावना रख सकता हैं जिसे मनुष्यता भी कहा जाता हैं |
कवि के अनुसार समर्थ भाव का यह मतलब हैं की, जिस व्यक्ति के पास बहुत ही संपत्ति है वह सतही तौर पर सामर्थ्यबान हो सकता है परंतु जो व्यक्ति दूसरों के प्रति संवेदना, बंधुत्व और उदारता का भावना रखता है वह उस धनवान व्यक्ति से काफी ज्यादा सामर्थ्यशील व्यक्ति हैं |
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