(क) पता करो कि कोई सामान, विचार और ध्यान क्यों बिखरता है? (ख) उनके बिखरने से क्या-क्या होता है? (ग) लेखक का दिमाग खेल से ज्यादा भारत-पाकिस्तान के अलगाव और ट्रैजिडी होने के कारण कैसी मुश्किलों में उलझा होगा?
Answers
ये प्रश्न ‘एक खिलाड़ी की कुछ यादें’ पाठ से लिया गया है। ये एक संस्मरण है। जिसके लेखक ‘केशवदत्त’ हैं। इस पाठ में लेखक ने हाकी के खेल से जुड़ी कुछ यादों का वर्णन किया है।
(क) किसी सामान की यदि उचित देखभाल नही की जाये उसे यूं ही छोड़ दिया जाये तो वो सामान बिखरने लगता है। अतः सामान को बिखरने से बचाने के लिये सही पैकेजिंग, रख-रखाव और देखभाल जरूरी है।
विचार भी सामान की तरह होते हैं। उन पर ध्यान देने की जरूरत होती है और एक जगह एकत्र करके सामान की तरह सही पैकेजिंग अर्थात एक सही दिशा देने की जरूरत होती है, वरना वो बिखर जाते हैं।
ध्यान भी बेलगान घोड़े की तरह होता है, जरा भी ढील दी तो नियंत्रण से बाहर हो जाता है। अतः लक्ष्य को साधने के लिये ध्यान को पूरी तरह लक्ष्य की ओर केंद्रित करने की आवश्यकता होती है, वरना हमारा निशाना चूक सकता है।
(ख) सामान के बिखरने से हमें असुविधा का सामान करना पड़ सकता है, और हमें सामान को पुनः व्यवस्थित करने में श्रम लगाना पड़ेगा, जिससे हमारे समय का अपव्यय होगा। अतः सामान बिखरने ही न दिया जाये।
विचार बिखरने से हम किसी एक बात पर स्थिर नही रह पायेंगे और हम अपनी कार्ययोजना को सही रूप नही दे पायेंगे।
ध्यान के बिखरने से हमें अपने लक्ष्य को पाने में कठिनाई हो सकती है।
(ग) लेखक का दिमाग खेल से ज्यादा भारत-पाकिस्तान के अलगाव और ट्रैजिडी के कारण उलझा हुआ था। क्योंकि उस समय इस अलगाव के कारण देश के हालात ठीक नही थे। लेखक और उसके सारे साथियों के घर में इस अलगाव के कारण कोई न कोई ट्रैजिडी अवश्य हुई थी। इस कारण सबका मन व्यथित था। लेखक को बंबई (मुंबई) में हॉकी का कैंप भी बड़ी मुश्किल से मिल पाया था। इन सब कारणों से लेखक का दिमाग मुश्किल परिस्थितियों में उलझा था।