क्या चिंतन भाषा के बिना होता है? परिचर्चा कीजिए।
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हाँ! एक इंसान आगर चिंतन करना चाहता हो तो उसे किसी भी प्रकार की भाषा का सहारा नहीं लगता है। क्योंकि चिंतन मन की शांति के लिए होता है और किसी भाषा या बोली से एक मानव को कभी शांति नहीं मिल सकती हैं।
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क्या चिंतन भाषा के बिना होता है? परिचर्चा इस प्रकार है:
चिंतनऔर भाषा मनोवैज्ञानिक में कुछ मतभेद है | कुछ मनोवैज्ञानिक का विचार है किभाषा चिंतन के लिए आवश्यक है| भाषा के अभाव में चिंतन की प्रक्रिया नहीं हो सकती है| अत:चिंतन की प्रक्रिया भाषा द्वारा प्रभावित होती है तथा निर्धारित नही होती है|
जबकि कुछ मनोवैज्ञानिक का विचार है कि चिंतन के लिए भाषा आवश्यक नहीं है, क्योंकि मनुष्य में सोचने की प्रक्रिया पहले से ही होती है तथा बाद में शब्दों का प्रयोग उन विचारों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है|
अथार्त इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि चिंतन को भाषा प्रभावित करती है परंतु भाषा के बिना भी चिंतन संभव है|
मनोविज्ञान से संबंधित प्रश्न के लिंक:
brainly.in/question/15660843
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