कला की साधना जीवन के दुखम क्षणो को भुला देती है, विचार लिखे
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Kala ki Sadhna Jeevan Ke Dukh Mein Ek Shaam Ko Bhula Deti Hai
Kala ki Sadhna Jeevan Ke Dukh Mein Ek Shaam Ko Bhula Deti HaiJab vyakti Sadhna Mein Lene ho jata hai to Woh dusro dwara kiye Gaye Apne Apmano ko bhool jata hai aur apne atmaswarup ka darshan karta hai Tata Prasanna ho jata hai.
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मानव जीवन में सुख और 2 सिक्के के दो पहलुओं के समान है जब हम दुखी होते हैं तो रोते हैं काटते हैं अपने भाग्य को कोसते हैं इतना ही नहीं हम ईश्वर को भी दोषी मानते हैं हम तो किसानों में रोने विष्णु ने यहां तोबा मचाने के स्थान पर स्वयं को किसी भी प्रकार की कला में डूबा दे कला ही कला की साधना करे तो दुख की अनुभूति कम हो जाती है कला एक ऐसी शक्ति है होती है कि मनुष्य उसे व्यस्त हो कर दुख दर्द तो क्या स्वयं को भूल जाता है इसलिए हमें दुख से उबरने के लिए कला के सहारा लेना चाहिए .