(ख) परिपक्व होने पर अण्डाशय विकसित हो जाता है-
(1) बीज में
(2) पुंकेसर में
(3) स्त्रीकेसर में
(4) फल में
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(b)
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इस प्रश्न का सही उत्तर है, विकल्प...
(4) फल में
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निचेचन होने के चरण में परागकण परागण की प्रक्रिया द्वारा स्त्री केसर के वर्तिकाग्र तक पहुंचकर अंकुरित होते हैं। वर्तिकाग्र के अंकुरण से पराग नली बनती है, जो वर्तिका से होते हुए अंडाशय तक वृद्धि कर अंडाशय में स्थित बीजाण्ड तक पहुंचती है। परागनली में स्थित नर केंद्रक बीजाण्ड में स्थित अण्ड कोशिका से संयोजित हो जाते हैं और इस तरह नर केंद्रक के मादा केंद्रक यानि मतलब अंडकोशिका के संयोजन की क्रिया को निषेचन कहते हैं। निषेचन के द्वारा युग्मनज का निर्माण होता है। यही युग्मनज भ्रूण का निर्माण करता है। इसी निषेचन के बाद बीजांड से बीज तथा अंडाशय से फल का निर्माण होता है। इस प्रकार अंडाशय फल में विकसित हो जाता है।
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