Khelo ke mehetav ko bata te hue apne mitra ko patra
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पता.................
दिनांक: ...........
प्रिय सखी मंजू,
बहुत प्यार!
बहुत समय हो गया है तुमसे मिले हुए। कुछ समय पूर्व हमारी अन्य सखी मालविका से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ था। उससे पता चला कि तुम अपना सारा समय पुस्तकें पढ़ने में व्यतीत करती हो . खेल कई प्रकार के होते हैं। कुछ खेल घर में भी खेले जा सकते हैं तो कुछ ऐसे हैं जिनको खेलने के लिए मैदान की आवश्यकता होती है। वैसे छात्रों के लिए तो मैदान में खेले जा सकने वाले खेल ही अधिक लाभदायक होते हैं। कबड्डी, हॉकी, क्रिकेट, बैडमिंटन, खो-खो, बॉस्केटबॉल आदि ऐसे ही खेल हैं। इन्हे खेलने से मनोरंजन भी होता है और साथ ही साथ व्यायाम भी। खेल हमारे शरीर को स्वस्थ्य बनाये रखने के साथ-साथ हमारे भीतर कई अच्छे और आवश्यक गुणों का विकास भी करते हैं।खेलों से प्रतियोगिता की तथा संघर्ष की भावना सहज ही सीखी जा सकती है। सामूहिक जिम्मेदारी, सहयोग और अनुशासन की भावना का कोषागार खेलों में ही छिपा है। जो देश खेलों में अव्वल आते हैं वे विकास की दौड़ में भी अग्रणी रहते हैं। ओलम्पिक तथा राष्ट्रमंडलीय खेल स्पर्धाओं के द्वारा वसुधैव कुटुंबकम का मन्त्र प्रत्यक्ष होता हुआ देखते हैं। यह समय का अपव्यय नहीं है बल्कि स्वयं को स्वास्थ्य रखने के आवश्यक उपाय हैं।
मुझे विश्वास है कि तुम मेरी सलाह पर गौर करोगी एवं खेलों में हिस्सा लेना आरंभ करोगी।
तुम्हारी सखी,
स्नेहा।