लोकतंत्र के बहुलवादी सिद्धांत एवं दृष्टिकोण की आलोचना के दो तरीके दीजिए।
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लोकतंत्र के बहुलवादी सिद्धांत की आलोचना इस प्रकार है...
- संप्रभुता के परंपरावादी लोकतंत्र के बहुलवादी सिद्धांत की करते हुए कहते हैं कि राज्य संप्रभु संस्थाएं होती हैं। समुदाय और नागरिक राज्य के अधीन होते हैं ना कि उसके बराबर। बहुलवादी लोकतंत्र को बहुततंत्र कहा गया है, जिसमें सत्ता निजी समूह तथा हित समूह के बीच हो।
- बहुलवादी लोकतंत्र सत्ता के विभाजन की वकालत करता है जबकि बहुलवादी के आलोचक इस तर्क से सहमत नहीं हैं, आलोचकों का मानना है कि लोकतंत्र में भी किसी ना किसी के साथ संप्रभु शक्ति होनी चाहिए, जिससे राज्य या देश की एकता और अखंडता बनी रहे।
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