Lekhak Parichay in Hindi Course-B Class 10 CBSE
लेखक परिचय लिखिए (चित्रों सहित) :
१. प्रेमचंद
२. सीताराम सेकसरिया
३. लीलाधर मंडलोई
४. प्रहलाद अग्रवाल
५. अंतोन चेखव
६. निदा फ़ाज़ली
७. रवींद्र केलेकर
८. हबीब तनवीर
९. रवींद्रनाथ ठाकुर
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सूचना :
लेखक परिचय | सी.बी.एस.ई बोर्ड परीक्षा केलिए | दसवीं कक्षा के कोर्स-बी पुस्तक के अनुसार लिखो |
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१) प्रेमचंद -- प्रेमचंद को आधुनिक हिंदी कहानी के जनक माने जाते है उनके लेखन की पहली शुरुआत 1901 में शुरू हुआ, उनकी पहली कहानी की शुरुआत 1907 में हुआ हिंदी और उर्दू भाषा पर तो उनका विशेष अधिकार था।
प्रेमचन्द के कार्यो के कारण ही इन्हें हिंदी आधुनिक युग का प्रवर्तक भी कहा जाता है प्रेमचन्द के कहानी संग्रह सोजे वतन यानि देश का दर्द 1908 में प्रस्तुत हुआ जो की देशभक्ति से प्रेरित था जिसके कारण अंग्रेज भड़क गये और और उनके इस प्रकाशन पर रोक लगा दिया गया लेकिन प्रेमचन्द जी देशभक्ति के भावना से ओतप्रोत थे और उन्होंने अपना नाम बदलकर लेखन कार्य जारी रखा यही से उन्हें दयानारायण निगम ने उन्हें ‘प्रेमचन्द’ के नाम से संबोंधित किया अब नवाबराय ‘प्रेमचन्द’ के रूप में जाने लगे फिर यही से धनपतराय हिंदी लेखको में प्रेमचन्द के नाम से प्रसिद्द हुए।
२)सीताराम सकसेरिया-- सीताराम सकसेरिया को समाज सेवा के क्षेत्र में सन १९६२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये असम राज्य से हैं।
सीताराम सकसेरिया एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता , गांधीवादी , समाजवादी और पश्चिम बंगाल के संस्था बिल्डर थे , जो मारवाड़ी समुदाय के उत्थान के लिए उनके योगदान के लिए जाने जाते थे ।
३)लीलाधर मंडलोई -- इनकी शिक्षा: बी.ए. बीएड. (अँग्रेज़ी) पत्राकारिता में स्नातक। एम.ए. (हिन्दी)। प्रसारण में उच्च-शिक्षा सी.आर.टी., लन्दन से। पदभार: दूरदर्शन, आकाशवाणी के महानिदेशक सहित कई राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय समितियों के साथ ही प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य।
कृतियाँ- घर-घर घूमा, रात बिरात, मगर एक आवाज़, काल बांका तिरछा, क्षमायाचना, लिखे में दुक्ख, एक बहुत कोमल तान, महज शरीर नहीं पहन रखा था उसने, उपस्थित है समुद्र (हिन्दी व रूसी में) (कविता-संग्रह); देखा-अदेखा, कवि ने कहा, हत्यारे उतर चुके हैं क्षीर सागर में, प्रतिनिधि कविताएँ, 21वीं सदी के लिए पचास कविताएँ (कविता चयन); कविता का तिर्यक (आलोचना); अर्थजल, दिल का किस्सा (निबन्ध); दाना-पानी, दिनन दिनन के फेर (डायरी); काला पानी (यात्रा-वृत्तान्त); बुन्देली लोकगीतों की किताब, अन्दमान निकोबार की लोककथाओं की दो किताबें; पेड़ भी चलते हैं, चाँद का धब्बा (बाल साहित्य)।
सम्पादन: केदारनाथ सिंह संचयन, कविता के सौ बरस, स्त्राीमुक्ति का स्वप्न, कवि एकादश, रचना समय, समय की कविता आदि। अनुवाद: पानियों पे नाम (शकेब जलाली की गश्ज़लों का लिप्यन्तरण मंजश्ूर एहतेशाम के साथ)। माँ की मीठी आवाजश् (अनातोली पारपरा की रूसी कविताएँ, अनिल जनविजय के साथ)। फिष्ल्म: कई रचनाकारों पर डाक्यूमेंट्री निर्माण, निर्देशन तथा पटकथा लेखन। कुछ धारावाहिकों में कार्यकारी निर्माता तथा संगीत व साहित्य के ऑडियो-वीडियो सीडी, वीसीडी के निर्माण में सक्रिय भूमिका। सम्प्रति: निदेशक, भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली और साहित्यिक पत्रिका ‘नया ज्ञानोदय’ के सम्पादक।
९)रवीन्द्रनाथ ठाकुर-- इनका जन्म देवेन्द्रनाथ ठाकुर और शारदा देवी के सन्तान के रूप में ७ मई १८६१ को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ। उनकी आरम्भिक शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई। ... इस कारण टैगोर और इनका शेष परिवार कुछ समय तक काफ़ी समस्याओं से घिरा रहा था।
प्रेमचन्द के कार्यो के कारण ही इन्हें हिंदी आधुनिक युग का प्रवर्तक भी कहा जाता है प्रेमचन्द के कहानी संग्रह सोजे वतन यानि देश का दर्द 1908 में प्रस्तुत हुआ जो की देशभक्ति से प्रेरित था जिसके कारण अंग्रेज भड़क गये और और उनके इस प्रकाशन पर रोक लगा दिया गया लेकिन प्रेमचन्द जी देशभक्ति के भावना से ओतप्रोत थे और उन्होंने अपना नाम बदलकर लेखन कार्य जारी रखा यही से उन्हें दयानारायण निगम ने उन्हें ‘प्रेमचन्द’ के नाम से संबोंधित किया अब नवाबराय ‘प्रेमचन्द’ के रूप में जाने लगे फिर यही से धनपतराय हिंदी लेखको में प्रेमचन्द के नाम से प्रसिद्द हुए।
२)सीताराम सकसेरिया-- सीताराम सकसेरिया को समाज सेवा के क्षेत्र में सन १९६२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये असम राज्य से हैं।
सीताराम सकसेरिया एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता , गांधीवादी , समाजवादी और पश्चिम बंगाल के संस्था बिल्डर थे , जो मारवाड़ी समुदाय के उत्थान के लिए उनके योगदान के लिए जाने जाते थे ।
३)लीलाधर मंडलोई -- इनकी शिक्षा: बी.ए. बीएड. (अँग्रेज़ी) पत्राकारिता में स्नातक। एम.ए. (हिन्दी)। प्रसारण में उच्च-शिक्षा सी.आर.टी., लन्दन से। पदभार: दूरदर्शन, आकाशवाणी के महानिदेशक सहित कई राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय समितियों के साथ ही प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य।
कृतियाँ- घर-घर घूमा, रात बिरात, मगर एक आवाज़, काल बांका तिरछा, क्षमायाचना, लिखे में दुक्ख, एक बहुत कोमल तान, महज शरीर नहीं पहन रखा था उसने, उपस्थित है समुद्र (हिन्दी व रूसी में) (कविता-संग्रह); देखा-अदेखा, कवि ने कहा, हत्यारे उतर चुके हैं क्षीर सागर में, प्रतिनिधि कविताएँ, 21वीं सदी के लिए पचास कविताएँ (कविता चयन); कविता का तिर्यक (आलोचना); अर्थजल, दिल का किस्सा (निबन्ध); दाना-पानी, दिनन दिनन के फेर (डायरी); काला पानी (यात्रा-वृत्तान्त); बुन्देली लोकगीतों की किताब, अन्दमान निकोबार की लोककथाओं की दो किताबें; पेड़ भी चलते हैं, चाँद का धब्बा (बाल साहित्य)।
सम्पादन: केदारनाथ सिंह संचयन, कविता के सौ बरस, स्त्राीमुक्ति का स्वप्न, कवि एकादश, रचना समय, समय की कविता आदि। अनुवाद: पानियों पे नाम (शकेब जलाली की गश्ज़लों का लिप्यन्तरण मंजश्ूर एहतेशाम के साथ)। माँ की मीठी आवाजश् (अनातोली पारपरा की रूसी कविताएँ, अनिल जनविजय के साथ)। फिष्ल्म: कई रचनाकारों पर डाक्यूमेंट्री निर्माण, निर्देशन तथा पटकथा लेखन। कुछ धारावाहिकों में कार्यकारी निर्माता तथा संगीत व साहित्य के ऑडियो-वीडियो सीडी, वीसीडी के निर्माण में सक्रिय भूमिका। सम्प्रति: निदेशक, भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली और साहित्यिक पत्रिका ‘नया ज्ञानोदय’ के सम्पादक।
९)रवीन्द्रनाथ ठाकुर-- इनका जन्म देवेन्द्रनाथ ठाकुर और शारदा देवी के सन्तान के रूप में ७ मई १८६१ को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ। उनकी आरम्भिक शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई। ... इस कारण टैगोर और इनका शेष परिवार कुछ समय तक काफ़ी समस्याओं से घिरा रहा था।
mchatterjee:
thanku
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मुक़्तदा हसन निदा फ़ाज़ली या मात्र निदा फ़ाज़ली हिन्दी और उर्दू के मशहूर शायर थे इनका निधन ०८ फ़रवरी २०१६ को मुम्बई में निधन हो गया।
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