मानसरोवर सुभर जल हंसा क्यों कराई मुक्ता फल मुक्ता चुनरी उड़ी आनंद आ जाएगा
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जिस प्रकार मानसरोवर में हंस खेलते है और मोती चुनते हैं और वह उसे छोड़कर कहीं और नहीं जाना चाहते हैं उसी प्रकार मनुष्य भी संसार के माया जाल में फंस जाता और इसी संसार में रहना चाहता है। कवि का कहना है की भक्तिमय संसार में हम हंस के भाँति खेल रहे हैं मुक्ताफल अर्थात भक्ति के फलों का आनंद ले रहे हैं और अब यह पक्षी इस भक्तिमय वातावरण से दूर नहीं जाना चाहता है इसी में अपना जीवन व्यतीत करना चाहता है।
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