मुद्रण की तीन प्रमुख प्रक्रियाएँ हैं-रिलीफ़, इंटैग्लियो और प्लेनोग्राफी; इनका विस्तृत विवेचन करें।
Answers
मुद्रण की तीन प्रमुख प्रक्रियाएं होती हैं, रिलीफ प्रिंटिंग, इंटैग्लियो प्रिंटिंग और प्लेनोग्राफी प्रिंटिंग। इन तीनों प्रक्रियाओं की तकनीक और उपकरण भी अलग-अलग होते हैं। रिलीफ प्रिंटिंग में छापा जाने वाला भाग अर्थात डिजायन आदि उभरी हुई होती है। अर्थात यह ना न छापा जाने वाला भाग ऊपर की ओर उठा हुआ होता है। छापे जाने वाले उभरे हुए हिस्से पर स्याही लगाई जाती है। ना छापा जाने वाला भाग एकदम साफ रहता है और उस पर स्याही नहीं लग पाती। रिलीफ प्रिंटिंग में स्याही लगाने के लिए तो इंक रोलर से लगाई जाती है या फिर ब्लॉक को पैड पर दबाकर उस पर से ही लगाई जाती है।
इंटैग्लियो प्रिंटिंग में छापा जाने वाला भाग यानि डिजाइन आदि एक फर्श में काट कर तैयार किया जाता है और इससे ना छापा जाने वाला हिस्सा दबा हुआ होता है। स्याही भीतर के हिस्सों यानि ना छापे वाले हिस्सों पर लगाई जाती है और ऊपरी के छापे जाने वाले हिस्सों को साफ कर दिया जाता है।
तीसरी प्रक्रिया प्लेनो ग्राफी कहलाती है, इसे समतल छपाई भी कहते हैं। प्लेनो ग्राफी में छापा जाने वाला हिस्सा और न छापा जाने वाला हिस्सा ऊंचाई में एक समान होते हैं और इनमें कोई भी हिस्सा ऊंचा या नीचा नहीं होता। यह तकनीक बुनियादी तौर पर पानी और तेल के मिश्रण पर आधारित स्याही प्रतिरोध तकनीक होती है। इस तकनीक में छापा जाने वाला हिस्सा ही स्याही ग्राही बनाया जाता है, जबकि ना छापा जाने वाला हिस्सा स्याही प्रतिरोधी होता है। इस तरह छापे जाने वाले हिस्से पर स्याही लग जाती है और जब इसे किसी सतह पर लगाया जाता है तो डिजाइन पर स्याही छप जाती है।
≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡
पाठ - 7 : “प्रतिलिपि के विकास की अवस्थाएँ”
विषय : ग्राफिक डिजायन - एक कहानी [कक्षा - 11]
इस पाठ से संबंधित अन्य प्रश्नों के लिये नीचे दिये गये लिंकों पर जायें....
प्राचीन भारत में लॉक प्रिंटिंग का इस्तेमाल किस प्रकार किया जाता था? मिस्र की सभ्यता पर उसका क्या असर हुआ?
https://brainly.in/question/16385120
आपके आस पास उपलब्ध भिन्न-भिन्न मुद्रण माध्यमों और तकनीकों के बारे में एक स्क्रैपबुक (कतरन पुस्तक) बनाएँ और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।
https://brainly.in/question/16385117