सिंधु घाटी की लिपि के बारे में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें और यह बताएँ कि आकृति के साथ उसका क्या संबंध था?
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सिंधु घाटी की लिपि के बारे में देखा जाए तो इसके अंतर्गत औद्योगिक काल के पूर्व की वे सारी छपाईया आ जाती हैं, जो तरह-तरह की ऊपरी सतह से छाप लगाने में दिखाई देती थीं। यह छपाईयां मुद्रा सिक्कों और इसी तरह के प्रयोजन के लिए ढाली गई सतहों पर की जाती थीं। जिस तरह की मुद्राओं का प्रयोग सिंधु घाटी की सभ्यता में किया जाता था, सिंधु घाटी के मोहनजोदड़ो और हड़प्पा नामक स्थान पर की गये उत्खनन में यह बात सामने आई कि इस सभ्यता में चित्राक्षरों की आकृति से लेखन कला का विकास हुआ और फिर आगे चलकर उत्कीर्ण लेखो की आकृतियों को सुलेखन कार्य से प्रेरणा मिली। यह एक तरह की चक्रीय प्रक्रिया थी जो निरंतर चलती रही। इस प्रक्रिया की पुनरावृति उस समय भी होती कि जब सरलता से याद करने के लिए वर्णमाला के किसी संकेत का ध्वनि का अर्थ किसी बच्चे को समझाया जाता है। यह पद्धति समान रूप से सर्वत्र अपनाई जा रही है।
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पाठ - 6 : “लिपि का विकास”
विषय : ग्राफिक डिजायन - एक कहानी [कक्षा - 11]
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आगे चलकर सुलेखन की कला में आकृति का किस प्रकार उपयोग किया गया?
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तसवीरी आरेखों (picture diagram) के अस्तित्व में आने से पहले संचार यांनी विचारों के आदान-प्रदान के क्या साधन थे?
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