निबंध
नीचे दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर निबंध लिखे ।
विद्यार्थियों के जीवन में इन्टरनेट की भूमिका क्या है?,
इन्टरनेट क्या हैं ?.... इन्टरनेट का फैलाव …….फायदे एवम् नुकसान. अश्लीलता एवम् किशोर मन...... आधुनिक जीवन की अनिवार्यता के रूप में इंटरनेट…...निष्कर्ष ।
Answers
विद्यार्थियों के जीवन में इंटरनेट की भूमिका
इंटरनेट वर्तमान जीवन की अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। सर्वप्रथम हम यह समझ ले कि इंटरनेट है क्या?? तकनीकी रूप में परिभाषित करें तो सूचनाओं और दस्तावेजों के आदान-प्रदान के लिए टी सी पी /आई पी प्रोटोकॉल का उपयोग करके बनाया गया नेटवर्क जो वर्ल्ड वाइड नेटवर्क के सिद्धांत पर कार्य करता है इंटरनेट कहलाता है। इसके विविध उपयोग है। आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में ये एक मजबूत आधार स्तम्भ बन चुका है। इसके बिना हमारा जीवन अकल्पनीय हो जायेगा। ये व्यापार, शिक्षा, राजनीति, चिकित्सा, तकनीक आदि सभी क्षेत्रो में अपना विशिष्ट योगदान दे रहा है। इसका फैलाव सभी ओर हो गया है। आजकल गृहणियां भी ऑनलाइन शॉपिंग करती है और बिल ऑनलाइन ही पे किये जाते है। सारी जानकारी एक क्लिक पर हमेँ एक छ्त के नीचे उपलब्ध है। हर सिक्के के दो पहलू होते है वैसे ही इंटरनेट के फायदे और नुकसान दोनोँ हैं। इसने हर आयुवर्ग का काम आसान कर दिया है। अब टिकेट बुकिंग के लिए लम्बी लाइन नहीँ होती। इसने समय और श्रम दोनों की बचत की है। पर इंटरनेट पर अत्यधिक आश्रित होना हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रहा है। आजकल लोग समाज में मिलने से ज्यादा अपने घर में बन्द होकर इंटरनेट पर समय बिताना ज्यादा पसन्द करते है। लगातार स्क्रीन देखने से हमारी आँखों और रीढ़ की हड्डी पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। हममें रिश्तों का सम्मान व भावनात्मक स्नेह में कमी आई है। बच्चे बाहर न व्यायाम के लिए जाते है न कोई अन्य श्रमदायक खेल खेलने। अतः डायबिटीज हाइपरटेंशन, हाई ब्लड प्रेसर जैसी बीमारियां बढ़ती जा रही है।
इंटरनेट ने सबसे ज्यादा ह्रास हमारी संस्कृति का किया है। किशोर व युवा चोरी छिपे निषिद्ध साइट्स देखते है। इससे उनके मन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अश्लील दृश्य उनके अवचेतन मन पर अंकित होकर उन्हें अपराधी बनने की प्रेरणा देते है। वर्तमान में नाबालिग अपराधी बढ़ते जा रहे है। भारतीय संस्कृति के मूल आधारों का पालन नही हो रहा है। य। सत्य है कि वर्तमान के परिवेश में हम पुरातनपंथी होकर नहीँ जी सकते। इंटरनेट आधुनिक जीवन की अनिवार्यता है। हम इससे अछूते नहीँ रह सकते। पर हर चीज का उपयोग एक सीमा में किया जाना चाहिए। अति की सदा वर्जना है। अतः इंटरनेट का अत्यधिक उपयोग शारीरिक व मानसिक व्याधियों को खुला आमन्त्रण है। वहीँ इसका संतुलित उपयोग एक वरदान सरीखा है। अतः निष्कर्ष रूप में यही कहा जा सकता है कि इंटरनेट का विवेकपूर्ण उपयोग हमें उन्नति के पथ पर ले जायेगा वहीँ दूसरी और इसका अंधाधुंध प्रयोग हमें विनाश के मार्ग का पथिक बना देगा।