निम्न कारक भारत में कैसे पर्यावरण संकट में योगदान करते हैं? सरकार के समक्ष वे कौन-सी समस्याएँ पैदा करते हैं:
• बढ़ती जनसंख्या
• वायु-प्रदूषण
• जल-प्रदूषण
• संपन्न उपभोग मानक
• निरक्षरता
• औद्योगीकरण
• शहरीकरण
• वन-क्षेत्र में कमी
• अवैध वन कटाई
• वैश्विक उष्णता
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Answer:
• बढ़ती जनसंख्या :
बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संसाधनों का अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता है जिससे उनका दुरुपयोग होने लगता है और पर्यावरण संकट पैदा होने लगता है।
• वायु-प्रदूषण :
वायु में दूषित पदार्थों की उपस्थिति के कारण वायु प्रदूषित होती है। ये दूषित वायु को ज़हरीली गैसों ओज़ोन के कारण हो सकती है अथवा वस्तुओं के बिखरे कणों के कारण हो सकती है।
• जल-प्रदूषण :
घरेलू सीवेज जो नदियों तथा नालों में मिल जाते हैं तथा उद्योगों के विसर्जित खतरनाक रसायन जो नदियों में जाकर गिरते हैं और कृषि में छिड़के कीटनाशक पदार्थ व दवाइयाँ मिट्टी के साथ बहकर नदियों में मिल जाती है और जल प्रदूषित हो जाता है। जल भी पर्यावरण का एक स्रोत है । अतः जल प्रदूषित होने से पर्यावरण संकट पैदा होता है।
• संपन्न उपभोग मानक :
संपन्न उपभोग मानकों ने पर्यावरण के पहले दो कार्यों पर भावी प्रभाव डाला है। अनेक पर्यावरण संसाधन विलुप्त हो गए हैं और सृजित अवशेष पर्यावरण के अवशेषी क्षमता के बाहर है। अवशेषी क्षमता का अर्थ पर्यावरण कि अपक्षय को सोखने की योग्यता से है।
• निरक्षरता :
निरक्षर जनता पर्यावरण के संसाधनों का प्रयोग बहुलता से उनकी उपयोगिता को न जानते हुए लापरवाही से करती है जिनसे उनका दुरुपयोग होने लगता है और पर्यावरण संकट उत्पन्न होता है।
• औद्योगीकरण :
स्वतंत्रता के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था का बहुत तेज़ी से औद्योगिकीकरण किया गया है जिससे पर्यावरण संकट उत्पन्न हुआ है।
• शहरीकरण :
स्वतंत्रता के बाद नगरीकरण की प्रवृत्ति में काफी वृद्धि हुई है। इसकी फलस्वरूप मकानों तथा अन्य सार्वजनिक सुविधाओं की मांग में वृद्धि हुई है । इनकी बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए भूमि तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक शोषण किया गया है।
• वन-क्षेत्र में कमी :
वन क्षेत्र में कमी होने से ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है और कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ज़हरीली गैसों की अधिकता होने लगती है जिससे पर्यावरण संकट पैदा होता है।
• अवैध वन कटाई :
अवैध रूप से होने वाली वन कटाई भूमि पर वनों की मात्रा को कम कर रही है और पर्यावरण में असंतुलन पैदा कर रही है।
• वैश्विक उष्णता :
वैश्विक उष्णता पृथ्वीव और समुद्र के वातावरण के औसत तापमान वृद्धि को कहते हैं। वैश्विक उष्णता औद्योगिक क्रांति से ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि के परिणाम स्वरूप पृथ्वी के निचले वायुमंडल के औसत तापमान में क्रमिक बढ़ोतरी है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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