निम्न शब्दावलियों की संक्षेप में समझाइए:
(क) शाश्वत उत्तराधिकार (ख) सावंमुद्रा
(ग) कर्ता (घ) कृत्रिम व्यक्ति
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Answer with Explanation:
(क) शाश्वत उत्तराधिकार :
कंपनी का निर्माण कानून द्वारा होता है तथा समापन भी कारण द्वारा ही होता है। अतः इसके अस्तित्व का अंत केवल उसी दशा में होगा जबकि इसके बंद करने या समापन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके सदस्यों के आने-जाने या किसी सदस्य की मृत्यु, पागलपन, दिवालियापन आदि का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता । कंपनी का अस्तित्व बना रहता है।
(ख) सार्वमुद्रा :
कंपनी एक कृतिम व्यक्ति होने के कारण यह निदेशक मंडल के माध्यम से अपने सभी कार्य संपन्न करती है। यह स्वयं हस्ताक्षर नहीं कर सकती । विधान के अनुसार प्रत्येक कंपनी की सार्वमुद्रा होती है जिस पर कंपनी का नाम खुदा होता है । कंपनी द्वारा निर्गत कोई भी प्रलेख बिना इस सार्वमुद्रा के अंकित किए मान्य नहीं होगा।
(ग) कर्ता :
संयुक्त हिंदू परिवार व्यवसाय में परिवार के मुखिया का नियंत्रण होता है यह परिवार का सबसे अधिक आयु का व्यक्ति होता हैं तथा परिवार के किसी भी सदस्य को उसकी आज्ञा के बिना परिवार के नाम से किसी भी प्रकार का अनुबंध करने का कोई अधिकार नहीं होता । यह मुखिया ही कर्ता कहलाता है।
(घ) कृत्रिम व्यक्ति :
कंपनी का निर्माण कानून द्वारा होता है तथा इसका अस्तित्व इसके सदस्यों से पृथक होता है। यह एक प्राकृतिक व्यक्ति की भांति अपनी संपत्ति रख सकती है, ऋण प्राप्त कर सकती है, उधार ले सकती है किसी भी प्रकार का अनुबंध कर सकती है तथा दूसरों पर वाद योजित कर सकती है अथवा इस पर कोई अन्य व्यक्ति वाद योजित कर सकता है लेकिन व्यक्तियों के समान यह न तो श्वास ले सकती है और न ही यह खा पी सकती है । यह भागदौड़ भी नहीं कर सकती । इसलिए इसे कृत्रिम व्यक्ति कहा जाता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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