निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
मानव मन सदा से ही अज्ञात के रहस्यों को खोलने और जानने-समझने को उत्सुक रहा है । जहाँ तक वह नहीं पहुँच सकता था, वहाँ वह कल्पना के पंखों पर उड़कर पहुँचा । उसकी अनगढ़ और अविश्वसनीय कथाएँ उसे सत्य के निकट पहुँचाने में प्रेरणा-शक्ति का काम करती रहीं ।
अन्तरिक्ष युग का सूत्रपात 4 अक्टूबर, 1957 को हुआ था, जब सोवियत रूस ने अपना पहला स्पुतनिक छोड़ा । प्रथम अन्तरिक्ष यात्री बनने का गौरव यूरी गागरिन को प्राप्त हुआ ।
(अ) प्रस्तुत गद्यांश का संदर्भ लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए ।
(स) 1. मानव की विकास-यात्रा को महादेवी जी ने कैसे स्पष्ट किया है ?
2. प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने मनुष्य की किस प्रवृत्ति को स्पष्ट किया है ?
या मानव मन किसके लिए उत्सुक रहा है ?
3. अन्तरिक्ष युग का सूत्रपात कब हुआ ?
Answers
उपर्युक्त गद्यांश में दिए गए प्रश्नों उत्तर निम्नलिखित हैं-
Explanation:
(अ) सन्दर्भ: प्रस्तुत गद्यांश हमारी पठित पाठ्य पुस्तक हिन्दी के गद्य खण्ड में संकलित 'पानी में चंदा और चाँद पर आदमी ' नामक निबन्ध से लिया गया है। इसके लेखक का नाम श्री जयप्रकाश भारती है।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या: लेखक का कहना है कि प्राचीन काल से ही मनुष्य का मन नयी नयी बातों को जानने के लिए उत्सुक रहा है। जहाँ तक सम्भव हुआ मनुष्य अपनी कल्पना द्वारा सदा अनजाने रहस्यों को जानने और समझने में अपनी शक्ति का उपयोग करता रहा है। मनुष्य ने अज्ञात रहस्यों के विषय में अनेक कल्पनाओं का निर्माण किया। वह कल्पनाएं चाहे सत्य से परे निराधार मालूम पड़ी, परन्तु वह उसको साकार करने का प्रयास करता रहा तथा सच के निकट पहुँचने की प्रेरणा प्राप्त करता रहा।
(स)
1. महादेवी जी ने मानव की विकास यात्रा को एक वाक्य - " पहले पानी में चंदा को उतारा जाता था और आज मानव चाँद पर पहुँच गया है। " में निबद्ध कर दिया है।
2. मनुष्य की अज्ञात रहस्यों को जानने की प्रवृत्ति को प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने स्पष्ट किया है।
3. सोवियत रूस के द्वारा पहले स्पुतनिक को छोड़े जाने की तिथि 4 अक्टूबर, 1956 से अन्तरिक्ष युग का सूत्रपात हुआ।