निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
चरन-कमल बंदौं हरि राइ ।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, अंधे कौ सब कुछ दरसाइ ।।
बहिरौ सुनै, गूँग पुनि बोलै, रंक चलै सिर छत्र धराइ ।
सूरदास स्वामी करुनामय, बार-बार बंदौं तिहिं पाइ ।।
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दिये गए पदयांश का अर्थ बताइए।
Explanation:
इस पदयांश में आपको सूरदास जी के द्वारा प्रभु की अपरंपार लीलाओं के बारे में जानने को मिलेगा। क्योंकि एक परमात्मा ही है जो की इस पूरी दुनिया को अपने हिसाब से नियंत्रित करते हैं। अगर वह चाहें तो एक इंसान पानी के उपर चल भी सकता है और एक पंगु पहाड़ तक भी लांघ सकता हैं।
प्रभु की इच्छा हुई तो एक अंधा देख सकता हैं, गूंगा बोल सकता है और बहरा सुन भी सकता हैं। उनकी लीला बहुत ही अनोखा है वह चाहें तो एक राज को रंक और एक रंक को क्षण भर में ही राजा बना सकते हैं।
खैर सूरदास जी यह भी कहते हैं की, प्रभु करुणा के सागर हैं और अगर हम अपने सच्चे मन से उनको स्मरण करें तो सारे असुविधाएँ दूर भी हो जाएंगी।
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