निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -
मेरे पाँव बहुत छोटे हैं धरती बहुत बड़ी है माँ !
मेरी उँगली थामे मेरे बिलकुल पास खड़ी रह माँ !
तेरा नेह कवच-कुंडल है, तेरा परस ढाल मेरी ,
ऐसी थकन थका हूँ अबकी थकने लगी चाल मेरी,
अंध कूप में उतर रहा हूँ कैसी विकट घड़ी है माँ !
मेरी उँगली थामे मेरे बिलकुल पास खड़ी रह माँ !
जब भी चाहा सुख से जी लूँ दुःख ने आकर घेर लिया,
जितना अधिक सहा उतना ही नाम तुम्हारा टेर लिया,
मरुस्थलों के तपते पथ में तू ही मेघ-झड़ी है माँ !
मेरी उँगली थामे मेरे बिलकुल पास खड़ी रह माँ !
राहें जिसकी मंजिल होंगी उसको तो चलना ही होगा,
जो वसंत का अधिकारी है उसको तो जलना ही होगा।
ऋतु-चक्रों की हर वेला में तू ही पुष्प-लड़ी है माँ !
मेरी उँगली थामें बिलकुल पास खड़ी रह माँ !
i) माँ के स्नेह को कवच कुंडल क्यों कहा गया है ?
ii) विषम परिस्थितियों में माँ ही क्यों याद आती है?
III) "मरुस्थलों के तपते पथ में तू ही मेघ-झड़ी है माँ !"- पंक्ति का भाव लिखिए।
iv) उन पंक्तियों को उद्धृत कीजिए, जिनका भाव है-जीवन में विविध अनुभवों के बीच माँ का साथ फूलों जैसा सुहाना होता है।
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Answer:
अपठित गद्यांश के प्रश्न उत्तर
Explanation:
i) माँ के स्नेह को कवच कुंडल क्यों कहा गया है ?
उत्तर:- एक मां ही अपने बच्चों से अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती है।उनकी रक्षा करती है। मां की दवाएं हमारी उम्र बढ़ा देती है।मा को ईश्वर का दर्जा दिया गया है इसलिए मां का प्रेम एक कवच की तरह माना गया है
ii) विषम परिस्थितियों में माँ ही क्यों याद आती है?
उत्तर:- हमें हमेशा विषम परिसथितियों में अपनी मां की याद इसीलिए आती है क्यूंकि एक मां हमेशा हमारी रक्षा करती है।यदि हम किसी मुश्किल मैं हां तो हमारी मां की दुवाएं हमें हर मुसीबत से बचाती हैं
III) "मरुस्थलों के तपते पथ में तू ही मेघ-झड़ी है माँ !"- पंक्ति का भाव लिखिए।
उत्तर:- मां के पास जाने से हमारी हर मुश्किल हल हो जाती है इसीलिए मां हमें किसी मरुस्थल पर पड़नेवाली बारिश की तरह लगती है
iv) उन पंक्तियों को उद्धृत कीजिए, जिनका भाव है-जीवन में विविध अनुभवों के बीच माँ का साथ फूलों जैसा सुहाना होता है।
उत्तर:-
ऋतु-चक्रों की हर वेला में तू ही पुष्प-लड़ी है माँ !
मेरी उँगली थामें बिलकुल पास खड़ी रह माँ !
Answer:
Explanation:
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